ओफ़ीसर
डाॅ.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
जब से बने हैं, हम ओफ़ीसर, इंसान भी हैं हम भूल गये।
प्यार प्रेम की बातें भूले, क्रोध छोड़कर कूल भये।।
अधीनस्थ ना चाहें हमको।
काम बताते, पी के गम को।
पास में आने से डरते वे,
फिर भी साथ ले चलते सबको।
अधिकारी हमें घास न डालें, हम उनको हैं फूल भये।
जब से बने हैं हम ओफ़ीसर, इंसान भी हैं हम भूल गये।।
गाना कोई याद न आये।
नियम ही देखो मन पर छाये।
करने कराने के चक्कर में,
हम भी हैं कुछ, हम भरमाये।
ड्यूटी करने के चक्कर में, अधीनस्थों को शूल भये।
जब से बने हैं हम ओफ़ीसर, इंसान भी हैं हम भूल गये।।
सेवा नियमावली में उलझे।
जीवन के ना मुद्दे झुलझे।
पेंशन पाने का चक्कर है,
टीए डीए में भी उलझे।
राष्ट्रप्रेमी हैं जीवन भूले, केवल अब हम टूल भये।
जब से बने हैं हम ओफ़ीसर, इंसान भी हैं हम भूल गये।।
प्रेम नहीं आॅॅफीसर करता।
नफरत का कोई काम नहीं।
खाना-पीना भूलें हैं हम,
रात को भी आराम नहीं।
मनोरंजन की बात छोड़ दो, कविता लिखना भूल गये।
जब से बने हैं हम ओफ़ीसर, इंसान भी हैं हम भूल गये।।
जवाहर नवोदय विद्यालय, केन्द्रीकोणा, साउथ वैस्ट गारो हिल्स-794106 (मेघालय)
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