नव-वर्ष हो हमें मुबारक
नव-वर्ष हो हमें मुबारक, बन जायें हम सच्चे साधक,
पथ हो निर्बाध हमारा, बने न कोई उसमें बाधक।।
हर व्यक्ति का विकास करें हम, साथ-साथ सब आगे बढ़ें हम।
समाज हित में त्याग की क्षमता, परिवार हमारा, विकास करें हम।।
व्यक्ति, परिवार, समाज एक हों, विकास सभी की टेक एक हो।
मिल-जुल कर हम चलना सीखें, भले ही हमारे पथ अनेक हों।।
हो लोक हित में, तन्त्र कार्यरत, लोक-सेवक हो लोक सेवारत
अहम् हमारे मिट जायें सब, कर्तव्य पथ पर चलें कर्मरत।
आतंक का ना कहीं नाम हो, प्रेम भरी सुबह-शाम हो।
छुटि्टयों की आदत हम छोड़े, प्यारा सबको अपना काम हो।
नर-नारी ना हों प्रतिस्पर्धी, हो एक-दूसरे से हमदर्दी
साथ-साथ यदि चल न सकें तो, बने न किसी को हम बेदर्दी।
सपना मेरा नये वर्ष का, पल आयेगा कभी हर्ष का
स्टेन-गन ले चलने वाले, सुख पायेंगे, नेह स्पर्श का।
बने न सुविधा के आकांक्षी, नित राष्ट्रप्रेमी है शुभाकांक्षी
ईश नाम पर लड़ने वालो, कर्म करो, कर, ईश्वर साक्षी।
लक्ष्य भले ही ना मिल पाये, आगे नित हम बढ़ते जायें।
बाधाएँ आती हों आयें, पथ अपना हम क्यों घबरायें.
अकेलेपन से ना घबरायें, पथ में ही हम मित्र बनायें।
सबके हित में हाथ मिलायें, हाथों से ही उर मिल जायें।
भले ही हमारे हो आलोचक, हम तो राष्ट्र के हैं आराधक।
नव वर्ष हो हमें मुबारक, बन जायें हम सच्चे साधक।।
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