प्रेम है लुटाना
तुम पर नजर है,नहीं है निशाना।
मुझको अभी है बहुत दूर जाना।।
चाहा था तुझको बहुत हमने माना।
गा नहीं सकेंगे,केवल तेरा गाना।।
पथ का पथिक हूँ,नित ही चलते जाना।
राही हो तुम भी नहीं घर बसाना।।
लाये थे न कुछ भी नहीं हमको पाना।
हर मुस्कान पर, हमें, प्रेम है लुटाना।।
दे नहीं सके तो, नहीं तुमसे पाना।
लुटा देंगे सब कुछ,नहीं कुछ जुटाना।।
चलो तुम भी, आगे बहुत कुछ है पाना।
अगले चौराहे से तुमको मुड़ के जाना।।
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