Sunday, August 17, 2008

क्या शादी अनावश्यक व कैरियर में बाधक है? क्या शादी की व्यवस्था समाप्त हो जानी चाहिए?

क्या शादी अनावश्यक व कैरियर में बाधक है? क्या शादी की व्यवस्था समाप्त हो जानी चाहिए?

मित्रो वर्तमान में शादी व पारिवारिक व्यवस्था कुछ कमजोर सी होती जा रही है, चिन्ता भी होती है कि शादी के प्रति बढ़ता अनाकषZण क्या पारिवारिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न नहीं कर देगा किन्तु कुछ उदाहरण ऐसे भी है कि उन्होंने स्वार्थवश केवल अपने लिए शादी से तोबा नहीं की है वरन उनका मकसद ही उन्हें शादी से दूर ले आया। समाज व परिवार के लिए अपने वैवाहिक जीवन को दाव पर लगाने वाले लोग उन लोगों से भिन्न हैं जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता या निजी स्वार्थ वश शादी के दायित्वों से भाग रहे हैं। इसी विषय को राजस्थान पत्रिका ने कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया है जिसे साभार प्रस्तुत कर रहा हू¡।

अजमेर से प्रकािशत राजस्थान पत्रिका दिनांक 11 अगस्त 2008 के प्रथम पृष्ठ से साभार

जिन्दगी कुछ यूं हुई बसर तनहा..........................................

एकाकियों की सूची में कई राजनेता, नौकरशाह, डॉक्टर और समाजसेवी

जयपुर, 10 अगस्त (का.सं.)
जिन्दगी बेमकसद नहीं कटती। लेकिन कभी-कभी मकसद की राह में सिर उठाकर ये भी देखने की फुर्सत नहीं मिलती कि कोई साथ रहा या नहीं। मंजिल का सफर बिना हमसफर ही कट जाता है और बचती है तो सिर्फ तनहाई। मकसद पूरा करने की सन्तुिष्ट तो मिलती है, जिन्दगी के कुछ मोड़ों पर अकेलेपन की टीस बाकी रह जाती है। `पत्रिका´ की यह पड़ताल उन लोगों के नाम है जिन्होंने अपने मकसद के लिए, चाहे वो कैरियर हो, समाजसेवा या राजनीति, अकेले रहना चुना और आज उन्हें अपने फैसले पर कोई मलाल भी नहीं। राष्ट्रीय स्तर पर तो पूर्व राष्ट्रपति एण्पीण्जेण् अब्दुल कलाम से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक कई बड़े नाम इसमें शामिल है। लेकिन राज्य की सूची में भी कम बड़े नाम नहीं हैं।

ये हैं बिन ब्याहे
राजनेता : भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सांसद कैलाश चन्द्र मेघववाल, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सोसद ओमप्रकाश माथुर, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष डाण् गिरिजा व्यास, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भुवनेश चतुर्वेदी।
आईएएस अधिकारी : परिवहन आयुक्त जगदीश कातिल, चिकित्सा िशक्षा सचिव डॉण् गोविन्द शर्मा, प्रमुख कला एवं संस्कृति सचिव एसण्अहमद, प्रमुख जनजाति क्षेत्रीय विकास सचिव गुरजोत कौर, सेेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य सचिव ए.के.आहूजा
आरएएस अधिकारी : रेखा गुप्ता, ऊषा शर्मा, लक्ष्मी बैरवा, शमीम अख्तर
सेवानिवृत्त आरपीएस : बादाम बैरवा
चिकित्सक : पैट्रीसिया वीकर्स, मालती गुप्ता ( एसएमएस से सेवानिवृत्त)
समाजसेवी : निखिल डे, कविता श्रीवास्तव
(राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक शादी नहीं करते, इस सूची में भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री प्रकाश चंद्र शामिल हैं।)

जिम्मेदारियों ने नहीं दिया मौका

कैरियर और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण मैंने ईमानदारी से शादी के लिए प्रयास नहीं किये। कैरियर के बाद छोटे भाई बहनों की शादी को प्राथमिकता देना जरूरी था। वैसे विवाह के मामले में कम से कम 50 प्रतिशत फैसला ईश्वर करता है। दिलचस्प यह है कि जब 35 वषZ का था, तब एक महिला ज्योतिषी ने मा¡ से कहा कि इसके हाथ में तो शादी की रेखा ही नहीं है। अविवाहित होने से विभागीय कायोZ के लिए मिल रहे समय का पूरा उपयोग कर रहा हू¡।
-जगदीश चन्द्र, परिवहन आयुक्त

वैवाहिक जीवन का विरोधी नहीं हू¡

``मैंने जीवन भर शादी नहीं करने का कोई प्रण नहीं लिया है और न ही वैवाहिक जीवन का विरोधी हू¡। विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसका पूरा सम्मान करता हू¡। लेकिन मेरा समाज के प्रति एक बड़ा संकल्प है और उसको पूरा करने के लिए किसी दूसरे का जीवन प्रभावित नहीं करना चाहता।´´
-निखिल डे, सामजिक कार्यकर्ता

कोई बंधन नहीं चाहती
मैं किसी सामाजिक संस्था के बंधन में नहीं बंधना चाहती। समाज के प्रति अंतहीन संकल्प हैं। महिलाओं पर परिवार में ज्यादा बंदिशे होती है। मैंने परिवार के प्रति जिम्मेदारी को पूरा किया है, मा¡-बाप की सेवा की है। शादी करके ही कोई कर्तव्य पूरा होता है, ऐसा नहीं है। मुझे लगता है, मेरे पास दोनों सुख हैं और स्वतंत्र व्यक्ति भी हू¡। मेरा घर शॉर्ट स्टे होम की तरह है, कई लोगों के घर बसाये हैं। वैकल्पिक रिश्तों को ईमानदारी से निभाया है। कभी अकेलापन या फ्रस्टेशन महसूस नहीं किया।
- कविता श्रीवास्तव, पीयूसीएल पदाधिकारी

कोई टिप्पणी नहीं करू¡गा :
शादी करने या नहीं करने का सवाल बड़ा वैसा है, मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहू¡गा।
-सांसद कैलाश मेघववाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा

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