बन जा तू जबाब
जब तकचाहेगी
थामना किसी का हाथ
लगाई जाती रहेंगी नुमाइशें ।
जब तक नही देगी
पलटकर जबाब
लेते रहेंगे लोग
तेरा इम्तहान।
निश्चय ही
तू एक अच्छी इन्सान है
तेरी निराली शान है
तोड़ दे बनावटी आन है
दुनिया करेगी तेरा मान है।
जब तक
तू खुद ही नहीं रखेगी
अपनी पसन्द का ख्याल
लोग कैसे पूछेंगे?
तुझसे तेरी पसन्द
व्यवस्थाए कैसे हो पायेंगी?
चाक-चौबन्द।
जब तक
जीयेगी
किस्मत के भरोसे
कैसे मिल पायेंगे अधिकार?
अधिकार जताने नहीं
कर्तव्यों के साथ प्राप्त करने हैं।
जब हो जायेगी तू
कर्म पथ पर अडिग
कर नहीं सकता पुरूष
तेरी बराबरी।
किसमें हिम्मत?
लगाये तेरा मोल
खड़ी हो जमीन पर
अपने को तोल!
कब तक?
बनेगी बाजारों की शान!
दहेज लोभियों कोमार दे ठोकर
किस्मत पर नहीं
कर्म पर भरोसा कर
खुद के ही नहीं
पराये दैन्य भी हर।
कब तक?
पूछती रहेगी सवाल?
बन जा तू जबाब
इकट्ठी कर क्षमताए¡
मिटा दे विषमताए¡
जुटा शक्ति, शिक्षा और सामर्थ्य
हे नारी!
तू ही दे सकती
नर जीवन को अर्थ।
कब तक?
ReplyDeleteपूछती रहेगी सवाल?
बन जा तू जबाब
इकट्ठी कर क्षमताए¡
मिटा दे विषमताए¡
bahut sundar.
जुटा शक्ति, शिक्षा और सामर्थ्य
हे नारी!
तू ही दे सकती
नर जीवन को अर्थ।