'ये संत दारू पीते हैं और भी न जाने क्या-क्या करते हैं? मैं अपने छात्र-छात्राओं से कहती हूँ कि इनकी बातों में क्या रखा है? इनसे अच्छे प्रवचन तो में दे सकती हूँ?' एक शिक्षिका महोदय अपने शिक्षिक साथी से सी.बी.एस.ई. के एक मूल्यांकन केन्द्र पर कार्य करते हुए कह रहीं थीं।
थोड़ी देर उपरांत वही शिक्षिका महोदया उनसे मुखातिब हुईं , 'सर! मैं अपने भाई के यहाँ ठहरी हूँ। किसी होटल वाले से होटल में ठहरने का बिल बनवा दीजिये न। सी.बी.एस.ई.से होटल में ठहरने का खर्चा तो लेना ही होगा न।' शिक्षक को उनका प्रवचन समझ में आ गया।
“दिल की टेढ़ी-मेढ़ी राहें”
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रोहन एक सफल व्यवसायी था, जो अपने काम में इतना व्यस्त था कि उसे अपने जीवन
में प्रेम की कमी महसूस नहीं होती थी। प्रेम तो क्या रोहन के पास सुख-दुख की
अनुभूति ...
1 week ago

bahut badhiya sant ki baat sabhi ko manana chahiye
ReplyDeleteबिल्कुल सीधी खरी बात।
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