'ये संत दारू पीते हैं और भी न जाने क्या-क्या करते हैं? मैं अपने छात्र-छात्राओं से कहती हूँ कि इनकी बातों में क्या रखा है? इनसे अच्छे प्रवचन तो में दे सकती हूँ?' एक शिक्षिका महोदय अपने शिक्षिक साथी से सी.बी.एस.ई. के एक मूल्यांकन केन्द्र पर कार्य करते हुए कह रहीं थीं।
थोड़ी देर उपरांत वही शिक्षिका महोदया उनसे मुखातिब हुईं , 'सर! मैं अपने भाई के यहाँ ठहरी हूँ। किसी होटल वाले से होटल में ठहरने का बिल बनवा दीजिये न। सी.बी.एस.ई.से होटल में ठहरने का खर्चा तो लेना ही होगा न।' शिक्षक को उनका प्रवचन समझ में आ गया।
महिला प्रगति में बाधक- दहेज, मेहर व निर्वाह भत्ता
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आचार्य प्रशान्त किशोर जी की पुस्तक ‘स्त्री’ पढ़ते समय एक वाक्य ने ध्यान
आकर्षित किया, *‘ये दो चीज हैं जो जुड़ी हुई हैं एक-दूसरे से और दोनों को खत्म
होना चा...
4 weeks ago
bahut badhiya sant ki baat sabhi ko manana chahiye
ReplyDeleteबिल्कुल सीधी खरी बात।
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