चाँद की चाँदनी, बसंत बाहर।
फूलों की खुसबू, हमारा प्यार।
गाओ गीत, बिखेरो मुस्कान,
आपको मुबारक होली का त्यौहार।
प्यार के रंग से भरो पिचकारी,
स्नेह से रंग दो दुनिया सारी।
रंग न जाने भाषा, न कोई बोली,
आपको मुबारक हो, मित्रो होली।
कैसा प्यार?
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डॉ.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी रोते-रोते नेहा का बुरा हाल था। वह स्वयं भी
नहीं समझ पा रही थी कि आज उसे इतना रोना क्यों आ रहा है? समस्याएँ तो वह बचपन
से ही झ...
3 weeks ago
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