Saturday, March 22, 2008

पूजा का प्रतिफल ?

पूजा का प्रतिफल ?

वह सुबह-सुबह घूमने जा रहा था। रास्ते में द्रुत गति से जाते मैस प्रभारी दिखाई दिए। उनके हाथ में माचिस व अगरबत्ती लगी थी। उसने उन्हें प्रणाम किया और पूछा, `सुबह-सुबह कहा¡ चले सर ?´ उन्होंने उसी गति से चलते हुए जवाब दिया, ``बालाजी के मिन्दर जा रहा हू¡, पूजा करने के बाद मैस में निकल जाउ¡गा। वहा¡ भी देखभाल करनी पड़ती है। जिम्मेदारी का काम है।Þ वह यह विचार करता हुआ कि ये सर इस उम्र में भी कितनी शीघ्रता से कामों को निपटाते हैं, उनके प्रति श्रद्धावनत हो गया। वापसी के समय वे मैस से वापस आते दिखाई दिये। उनके साथ मैस का एक कर्मचारी भी था, जिसके हाथ में सामान की एक गठरी थी। सामने पड़ते ही मैस प्रभारी व मैस कर्मचारी दोनों उसे देखकर अचकचा गये और बातचीत का मौका दिए बिना, प्रभारी जी मुख्य द्वार से अपने क्वाटर में गए तो मैस कर्मचारी ने पीछे के दरवाजे से उसी क्वाटर में प्रवेश किया। पूजा का प्रतिफल इतनी शीघ्रता से मिलता देखकर वह आश्चर्य-चकित रह गया।

1 comment:

  1. माफ़ कीजिएगा पर पर कहानी का सार समझ नही आया.

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