कविता कहाँ? अब खो गयी है।
बीज शांति के बो गयी है।
शांति मृत्यु की मानो छाया,
जीवन-विहीन ही चलती काया।
खोया प्रेम, ईर्ष्या नहीं है।
सपने मरे, दिखती न माया।
बेचैनी कहाँ? अब सो गयी है।
कविता कहाँ? अब खो गयी है।
जीने की अब, नहीं है इच्छा।
मृत्यु की भी, नहीं प्रतीक्षा।
चाहते है, संन्यासी जो,
झेल रहा हूँ , वह तितिक्षा ।
शिक्षक दिवस मनाने का औचित्य?
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भारत में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।
परंपरा के पालन में हम भारतवासी अंधभक्त हैं। बिना कारण को जाने परंपरा को
निभात...
3 weeks ago
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