Saturday, August 30, 2025

असफलता ही पाई हमने

 आगे बढ़कर गले लगाया


स्वार्थ पास हमारे आया, हमने तब-तब है ठुकराया।

असफलता ही पाई हमने, आगे बढ़कर गले लगाया।।

अपने आपको तुम पर थोपा।

नहीं सुना, कभी दिया न मौका।

नहीं कभी है किसी को समझा,

चाहा हर दम लगाए चैका।

तुम्हारे बचपन को रौंदा है, केवल अपना गाना गाया।

असफलता ही पाई हमने, आगे बढ़कर गले लगाया।।

बचना अब हमरी छाया से।

सुखी रहो अपनी काया से।

बुद्धिमान हो कर लो मन की,

मुक्त रहो मेरी माया से।

अकेले कोई जीवन होता? पाओ तुम, मैंने ना पाया।

असफलता ही पाई हमने, आगे बढ़कर गले लगाया।।

तुम्हारे ऊपर कोई कर्ज नहीं है।

सुनना तुम कोई अर्ज नहीं है।

मुक्त कर रहा खुद से तुमको,

हमारे लिए कोई फर्ज नहीं है।

चाह न समझी कभी तुम्हारी, नहीं किया जो तुमको भाया।

असफलता ही पाई हमने, आगे बढ़कर गले लगाया।।


Friday, August 29, 2025

समस्याएँ नहीं गिनो तुम,

 समाधान बन आगे आओ


कर्म से अपनी राह बनाकर जीवन अपना सुखी बनाओ।

समस्याएँ नहीं गिनो तुम, समाधान बन आगे आओ।।

कर्मशील को अवसर जग में।

कदम-कदम संसाधन मग में।

औरत की हथेली में बरकत,

वही पुरूष के होती पग में।

समय ही जीवन है प्यारे, जीवन आनंद से जीते जाओ।

समस्याएँ नहीं गिनो तुम, समाधान बन आगे आओ।।

समय नहीं है दुखी होने का।

समय नहीं है व्यर्थ सोने का।

काट बाद में तुम पाओगे,

समय अभी है फसल बोने का।

फल ही हैं फूलों की हसरत, फूल देखकर खुशी मनाओ।

समस्याएँ नहीं गिनो तुम, समाधान बन आगे आओ।।

चाहत किसी की पूरी न होती।

पाओगी वही, जो हो बोती।

लेन-देन से चलता है जग,

मुफ्तखोरी कभी सफल न होती।

कर्म करो अधिकार कमाओ, कदम-कदम बढ़ते तुम जाओ।

समस्याएँ नहीं गिनो तुम, समाधान बन आगे आओ।।


Wednesday, August 27, 2025

जन्म दिवस हो तुम्हें मुबारक

 अपने पुत्र के जन्म दिवस 8 अगस्त 2025  के लिए गुजरात यात्रा के दौरान रेलगाड़ी में 7 अगस्त 2025 को लिखी गयी कविता प्रस्तुत है

कर्म क्षेत्र में आगे आओ





सीख रहे हो जग से अब तक, वापस दो अब कुछ सिखलाओ।


जन्म दिवस हो तुम्हें मुबारक कर्म क्षेत्र में आगे आओ।।


पच्चीसवें वर्ष में प्रवेष कर रहे।


षिक्षालयों में अभी रह रहे।


षिक्षा है आजीवन चलनी,


समाज में कितना आगे बढ़ रहे?


देष से पाया, वापस करना, आनंद से आगे बढ़ते जाओ।


जन्म दिवस हो तुम्हें मुबारक कर्म क्षेत्र में आगे आओ।।


चाहत पर जिद, नहीं कभी की।


साथ की इच्छा, पूरी नहीं की।


कठोर तुम्हारे साथ रहा मैं,


पूरी चाहत, नहीं कभी की।


कोई इच्छा प्रकट न करते, कर्तव्य पथ पर बढ़ते जाओ।


जन्म दिवस हो तुम्हें मुबारक कर्म क्षेत्र में आगे आओ।।


 मुझसे नहीं मिला जो तुमको।


मिल जाए वह जग से तुमको।


काम में ही नहीं खो जाना प्रिय!


आनंद से जीना, है अब तुमको।


हर पल, हर पथ, साथ तुम्हारे, सीखो और सिखाते जाओ।


जन्म दिवस हो तुम्हें मुबारक कर्म क्षेत्र में आगे आओ।।


 

Sunday, August 17, 2025

जीवन साथी नहीं है कोई

 


कुछ खुद को कह रहे घराती, कुछ कहते हैं, बराती हैं।

जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।

मात-पिता संग बचपन जीया।

किषोरावस्था में, मन का कीया।

युवावस्था का, धोखा मधुर था,

गले लगा, जीवन रस पीया।

कुछ ही पल तक साथ चलें ये, बातें इनकी भरमाती हैं।

जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।

काया ही जीवन की साथी।

मच्छर हो या फिर हो हाथी।

देखभाल काया की कर लो,

यह ही आथी, जीवन-साथी।

काया बिना, आत्मा भी भूत है, दुनिया जिससे शरमाती है।

जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।

मात-पिता का साथ है सीमित।

पति-पत्नी संग, नहीं असीमित।

जीवन साथी नहीं मिलेगा,

साथ किसी का नहीं है बीमित।

काया जब तक, जीवन तब तक, शेष सभी वष भाथी हैं।

जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।


सहायताः- आथी-संपत्ति, भाथी-धौंकनी।


Friday, August 8, 2025

समाधान नहीं खोजा तुमने,

 समाधान नहीं तुम बन पाईं!


समस्याओं में अटका यह जग, शिकायत करते लोग-लुगाई।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

रिश्तों में टकराव है हर पल।

अपने पराये की है हल चल।

हमने तो निज उर है खोला,

अजस्र प्रेम, स्रोत की कल-कल।

लेने की बस चाह तुम्हारी, खुद को ही तुम समझ न पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

बिना किए अच्छा बनना है।

फूल नहीं, तुम्हें फल चुनना है।

लेन-देन से चलती दुनिया,

सुनाना है बस, नहीं सुनना है।

नफरत तुमने उर में पाली, अपनों को ना अपना पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

श्रवण कुमार कह मजाक उड़ाई।

कर्तव्य पथ तुम नहीं चल पाईं। 

लेन-देन से चलती दुनिया,

लेने की तुमने, राह है पाई।

प्रेम तो होता पवित्र समर्पण, समझाया तुम समझ न पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

अलग राह है तुमने चुन ली।

स्वार्थ की चूनर तुमने बुन ली।

अपना हित भी समझीं नहीं तुम,

नकल करी और किस्मत धुन ली।

जीवन अपना जीना हमको, सीधी राह पर चल नहीं पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!