Sunday, August 17, 2025

जीवन साथी नहीं है कोई

 


कुछ खुद को कह रहे घराती, कुछ कहते हैं, बराती हैं।

जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।

मात-पिता संग बचपन जीया।

किषोरावस्था में, मन का कीया।

युवावस्था का, धोखा मधुर था,

गले लगा, जीवन रस पीया।

कुछ ही पल तक साथ चलें ये, बातें इनकी भरमाती हैं।

जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।

काया ही जीवन की साथी।

मच्छर हो या फिर हो हाथी।

देखभाल काया की कर लो,

यह ही आथी, जीवन-साथी।

काया बिना, आत्मा भी भूत है, दुनिया जिससे शरमाती है।

जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।

मात-पिता का साथ है सीमित।

पति-पत्नी संग, नहीं असीमित।

जीवन साथी नहीं मिलेगा,

साथ किसी का नहीं है बीमित।

काया जब तक, जीवन तब तक, शेष सभी वष भाथी हैं।

जीवन साथी नहीं है कोई, सब कुछ पल के साथी हैं।।


सहायताः- आथी-संपत्ति, भाथी-धौंकनी।


Friday, August 8, 2025

समाधान नहीं खोजा तुमने,

 समाधान नहीं तुम बन पाईं!


समस्याओं में अटका यह जग, शिकायत करते लोग-लुगाई।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

रिश्तों में टकराव है हर पल।

अपने पराये की है हल चल।

हमने तो निज उर है खोला,

अजस्र प्रेम, स्रोत की कल-कल।

लेने की बस चाह तुम्हारी, खुद को ही तुम समझ न पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

बिना किए अच्छा बनना है।

फूल नहीं, तुम्हें फल चुनना है।

लेन-देन से चलती दुनिया,

सुनाना है बस, नहीं सुनना है।

नफरत तुमने उर में पाली, अपनों को ना अपना पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

श्रवण कुमार कह मजाक उड़ाई।

कर्तव्य पथ तुम नहीं चल पाईं। 

लेन-देन से चलती दुनिया,

लेने की तुमने, राह है पाई।

प्रेम तो होता पवित्र समर्पण, समझाया तुम समझ न पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!

अलग राह है तुमने चुन ली।

स्वार्थ की चूनर तुमने बुन ली।

अपना हित भी समझीं नहीं तुम,

नकल करी और किस्मत धुन ली।

जीवन अपना जीना हमको, सीधी राह पर चल नहीं पाईं।

समाधान नहीं खोजा तुमने, समाधान नहीं तुम बन पाईं!!