Monday, April 14, 2025

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर,

 खुद ही, खुद से प्रेम करो।


 खुद ही, खुद को समय निकालो, खुद ही खुद के कष्ट हरो।

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर, खुद ही, खुद से प्रेम करो।।

सबके अपने-अपने स्वारथ।

कोई नहीं करता परमारथ।

जिनसे भी उम्मीद तू करता,

वह ही करते, जीवन गारत।

पल-पल को आनंद से जीओ, प्यारे! पल-पल नहीं मरो।

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर, खुद ही, खुद से प्रेम करो।।

नहीं कोई अपना, नहीं पराया।

सबने अपना राग सुनाया।

विश्वास बिना जीवन नहीं प्यारे!

विश्वासघात ने जाल बिछाया।

आत्मविश्वास जगा राष्ट्रप्रेमी, खुद पर तुम विश्वास करो।

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर, खुद ही, खुद से प्रेम करो।।

अन्तर्मन में प्रेम जगाओ।

चाह नहीं, बस प्रेम लुटाओ।

नहीं किसी से चाहत कोई,

नहीं पटो, और नहीं पटाओ।

प्रेम की भूख सभी को यहाँ पर, नहीं किसी का प्रेम हरो।

नहीं, प्रेम तुम खोजो बाहर, खुद ही, खुद से प्रेम करो।।


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