Saturday, April 12, 2025

नहीं किसी को कभी डराओ

 नहीं किसी से स्वयं डरो


नहीं किसी से  प्रेम की चाहत, नहीं किसी से प्रेम करो।

नहीं किसी को कभी डराओ, नहीं किसी से स्वयं डरो।।

निज स्वतंत्रता सबको प्यारी।

सीमित रखनी, सबसे यारी।

सबके अपने खेल निराले,

सबकी अपनी-अपनी पारी।

जीवन से खिलवाड़ करो ना, नहीं किसी से मेल करो।

नहीं किसी को कभी डराओ, नहीं किसी से स्वयं डरो।।

जीवन जीना है खुलकर के।

रोना भी है,यहाँ हँस करके।

जिस पर भी विश्वास करोगे,

चला जाएगा, वह ठग करके।

सामाजिक कर्तव्य निभाओ, नहीं किसी की जेल करो।

नहीं किसी को कभी डराओ, नहीं किसी से स्वयं डरो।।

प्रेम जाल में कभी न फसना।

नहीं पड़ेगा तुम्हें तरसना।

विश्वसनीय बन, विश्वास न करना,

विश्वासघात से भी है बचना।

नहीं किसी के खेल में फसना, नहीं किसी से खिलवाड़ करो।

नहीं किसी को कभी डराओ, नहीं किसी से स्वयं डरो।।


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