पाता नहीं, जो उसको बोता
प्रेम नहीं सबको मिल पाता, सबके ही परिवार न होता।
फसल और ही ले जाते हैं, पाता नहीं, जो उसको बोता।।
जन्म लिया है, जीना होगा।
संबन्धों में, विष, पीना होगा।
भले ही कोई घर नहीं प्यारे,
बजाना प्रेम से बीना होगा।
दिल खोलकार प्रेम लुटाना, भले ही मिले न प्रेम का सोता।
फसल और ही ले जाते हैं, पाता नहीं, जो उसको बोता।।
अपना नहीं है यहाँ पर कोई।
सबको चाहिए तेरी लोई।
जीवन का सब सार लुट गया,
बची पास है, केवल छोई।
जीवन पथ पर अकेला चलना, साथ न चलेगा सुत या पोता।
फसल और ही ले जाते हैं, पाता नहीं, जो उसको बोता।।
तूने सबको प्रेम लुटाया।
बाँट दिया सब, नहीं जुटाया।
उनके झूठ भी सच हैं प्यारे,
तेरे सच को भी झुठलाया।
नदी नहीं, है सागर गहरा, मौत का जोखिम लगा ले गोता।
फसल और ही ले जाते हैं, पाता नहीं, जो उसको बोता।।
जीवन से क्या पाया तूने?
खुद को ही है लुटाया तूने।
जिस पर भी विश्वास किया,
विश्वासघात ही पाया तूने।
फसल की चाह त्याग दे प्यारे, सूख गया, जो तूने जोता।
फसल और ही ले जाते हैं, पाता नहीं, जो उसको बोता।।
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