Wednesday, May 15, 2019

दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-४१

परिवार और रिश्तेदारों द्वारा दिये गये धन की सूची


नाम                                         वजन                             अनुमानित कीमत

दो सोने के सैट                        6 तोला                              1,68000/-रूपये
आठ सोने की चूड़ी                  4 तोला                               1,12000/-रूपये
दो अँगूठी सोने की                  2 तोला                                 56000/-रूपये
दो सोने की चैन                      2 तोला                                56000/-रूपये
दो जोड़ी चाँदी की पायल        200 ग्राम                             10000/-रूपये
कपड़े, साड़ी सूट आदि                                                     1,00000/-रूपये

उक्त काल्पनिक वस्तुओं के अतिरिक्त न्यायालय से अन्य अनेक दावे भी किये गये थे।

5. उपार्जनों से हानि की बाबत दावा की गयी रकम                             4,00000/- रूपये
6. चिकित्सकीय खर्चो की वावत एकमुश्त राशि                                 3,00000/-रूपये
7. आवेदिका के नियंत्रण में से हटायी गयी सम्पत्ति के नाश
, नुकसान एवं हटाये जाने के कारण हुई हानि के वावत                            60000/-रूपये
8. शारीरिक व मानसिक उपहति हेतु प्रतिपूर्ति की रकम
जिसके निशान शरीर पर होने का दावा भी किया गया था                          8,00000/-रूपये
9. गृहस्थी के खर्चा भरण-पोषण कपड़ा आदि हेतु प्रति माह                   60000/-रूपये मासिक
10. मुकदमें की पैरवी एवं वकील अधिवक्ता हेतु 
रकम प्रतिमाह की दर से                                                                         20000/-रूपये मासिक
11. इसके अतिरिक्त मानसिक, भावनात्मक, मानसिक, भावनात्मक
व सामाजिक संताप और कष्ट की क्षतिपूर्ति हेतु एकमुश्त                          5,00000/-रूपये 

मनोज कोर्ट में दायर याचिका की प्रति को बार-बार पढ़कर यही आश्चर्य करता कि लोगों का लालच कितना बड़ा हो सकता है। मनोज के साथ इस प्रकार का झूठा मुकदमा हाने से पूर्व वह विश्वास नहीं कर पाता था कि ऐसे दो व्यक्ति जिन्होंने एक साथ जीने मरने की कसम खायी हो। एक साथ नहीं भी रह पाये तो एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमे बाजी और मरने मारने को उतारू कैसे हो सकते है? खैर जो हुआ, अच्छा हुआ। जो हो रहा है, वह भी अच्छा ही हो रहा है। जो होगा वह भी अच्छा ही होगा के सूत्र पर विश्वास करने वाला मनोज। अपने खिलाफ कोर्ट में दायर याचिका की प्रति को बार-बार पढ़कर आश्चर्य करता कि कोई औरत इस प्रकार बेसिर-पैर की बातें लिखकर झूठे आरोप लगाकर एक व्यक्ति पर मुकदमा दायर करती है और उस पर भी उसका कहना यह कि वह उसका पति है और उसके साथ रहना चाहती है। कानून के विद्यार्थी के रूप में मनोज ने वे सभी धाराएँ पढ़ रखी थीं, जिनका प्रयोग उसके खिलाॅफ किया गया था। विद्यार्थी के रूप में कानून की सभी धाराएँ उसको महिलाओं को संरक्षण प्रदान करने के लिए बनाई हुई प्रतीत होती थीं किंतु वास्तविकता तो इसके विपरीत ही थी। अपने प्रेमी को धोखा देकर, कपटपूर्वक शादी रचाकर कुछ मिनटों के नाटक में ही किसी अच्छे-खासे कमाने वाले व्यक्ति को पति के रूप में अपना पालतू गुलाम बनाने का सुन्दर प्रयास किया गया था। केवल उस शातिर औरत ने ही षडयंत्र नहीं रचा था, इस कार्य में उसके भाई का भी पूरा सहयोग था। शातिर दिमाग वाली महिलाएँ किस प्रकार कानून का दुरूपयोग करके अपनी कमाई का रास्ता निकाल सकती हैं? मनोज को इसका प्रत्यक्ष अनुभव हो रहा था।
  

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