Tuesday, September 5, 2017

"दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-२४"


एक दिन शायं के समय मनोज के मोबाइल पर रिंग हुई। मनोज के फोन अटेण्ड करने पर आवाज आई, ‘मैं अफजल बोल रहा हूँ। माया से बात कराओ।’ मनोज ने तुरंत मोबाइल माया को दे दिया। माया के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। वह मोबाइल लेकर दूसरे कमरे में चली गयी। माया के मोबाइल लेकर न आने का कारण भी मनोज को स्पष्ट हो गया। मनोज ने इस सम्बंध में माया से कुछ नहीं पूछा। उसके बाबजूद माया ने सफाई देने की कोशिश की कि इसकी दो बेटियाँ उसके विद्यालय में पढ़ती हैं। उन्हीं के सन्दर्भ में कुछ समस्या थी इस कारण फोन किया था। माया की सफाई मनोज के लिए बहानेबाजी के सिवाय कुछ भी न थी। मनोज ने इस सन्दर्भ में माया से कोई बात भी नहीं की। जो महिला झूठ और धोखेबाजी को ही अपने जीवन का आधार मान चुकी हो। उससे बहस करने का कोई मतलब ही न था। मनोज बुरी तरह फँस चुका था। एक ऐसी औरत पत्नी के नाम पर उसके साथ रह रही थी, जो कौन थी? कहाँ की थी? किस उद्देश्य से मनोज को अपने षड्यन्त्र में फसाया था? मनोज को कुछ मालुम न था। मनोज के साथ धोखा करके उसने पत्नी के सम्बन्ध का अपहरण किया था। उसके साथ बिताया गया एक-एक क्षण मनोज को खतरे का आभास कराता था। यह तो स्पष्ट था कि वह केवल पैसे का देखकर मनोज के साथ धोखा करके आयी थी। किंतु वह कहाँ और किस प्रकार हमला करेगी? यह अनुमान लगाना ही मुश्किल था।
             मनोज ने माया के भाई को ईमेल किया कि यह अफजल कौन है? माया के भाई को भी अपेक्षा न होगी कि इतनी जल्दी उनके द्वारा रचे गये झूठ की पोल खुल जायेगी। वह लगभग एक सप्ताह तक कोई जबाब दे ही नहीं सका। उसके बाद उसने बहाना बनाया कि वह उसका पारिवारिक मित्र है। उसके घर पूरे परिवार का आना जाना है। उसने यहाँ तक सफाई दी कि वे सर्वधर्म समभाव को मानते हैं। इस कारण एक मुसलमान का पारिवारिक मित्र होना उनके यहाँ संभव है। मनोज को उस तनाव के क्षण में भी हँसी आ गयी। व्यक्ति कितना मूर्ख होता है। झूठ की पोल खुल जाने के बाबजूद स्वीकार नहीं करता और अपने पापों को छिपाने के लिए झूठ पर झूठ बोलता जाता है। वही कार्य माया और उसका भाई कर रहे थे। कहावत है झूठ के पाँव नहीं होते। मनोज ने शादी से पूर्व किसी भी प्रकार की जाँच नहीं की थी। उसका मानना था कि जिस महिला को उसकी जीवनसंगिनी बनना है। उसे सबसे अधिक विश्वसनीय होना चाहिए। अतः उसने सबसे अधिक विश्वास उस महिला पर किया जिसे वह जीवनसंगिनी बनाना चाहता था। मनोज को क्या पता था कि वह महिला जीवनसंगिनी तो क्या किसी भी प्रकार से विश्वसनीय ही नहीं है। झूठ की जब पोल खुलने लगती है, तब एक के बाद एक परत उतरती चली जाती है। झूठ बोलने वाला व्यक्ति कितना भी चालाक क्यों न हो, वह कमजोर ही होता है। वह कमजोर नहीं होता तो झूठ क्यों बोलता। झूठ बोलकर व्यक्ति किसी को कितना भी धोखा दे दे किसी को कितना भी ठग ले किंतु वह कभी भी आत्मसम्मान प्राप्त नहीं कर सकता। माया के द्वारा मोबाइल न लाने का आधार मनोज को पता चल चुका था।

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