Monday, September 4, 2017

"दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-२३"

मनोज को इण्टरनेट पर वायरल हुआ वीडियो अपने घर में बनता हुआ दिखने लगा। इण्टरनेट पर वायरल हुए वीडियो में एक महिला अक्सर अपनी सास को प्रताड़ित करती थी। यही नहीं वह उसे खाना भी नहीं देती थी और बात-बात पर उसकी पिटाई करती थी। वह उसे इतना धमकाकर व डराकर रखती थी कि वह बेचारी अपने बेटे से उस बारे में कुछ कहने की हिम्मत भी नहीं कर पाती थी। किंतु उस महिला के पति को कुछ शक हो गया। अतः उसने अपनी पत्नी को बिना बताये। घर के अन्दर छिपा हुआ कैमरा फिट कर दिया। पति जैसे ही घर से बाहर निकलकर गया। उसकी पत्नी सीधे अपनी सास की चारपाई के पास आकर उसकी बुरी तरह पिटाई करने लगी। मनोज उस वीडियो को देखकर घबड़ा गया था कि ऐसी भी औरतें हो सकती हैं। वीडियो में रिकाॅर्ड होने के बाद महिला के पति को अपनी पत्नी की करतूतों का पता चला और उसने पुलिस को सूचित कर उस निर्दयी राक्षसी महिला को पुलिस को सौंप दिया। माया के व्यवहार से मनोज को वही वीडियो याद आता और वह अन्दर ही अन्दर काँप उठता। उसे लग रहा था कि माया भी ऐसा कर सकती है। वह औरत तो अपनी सास के साथ ऐसा करती थी। यहाँ तो स्पष्ट हो चुका था कि माया ने रूपयों की खातिर षड्यन्त्रपूर्वक मनोज को फँसाया था। प्रभात मनोज का बेटा मनोज का वारिस था। वह मनोज व प्रभात की जान भी ले सकती थी। ऐसी स्थिति में वह क्या कर सकेगा। मनोज कुछ भी बर्दाश्त कर सकता था किंतु विश्वासाश्रित संबन्धों में झूठ नहीं बर्दाश्त कर सकता था। माताजी-पिताजी की सेवा करना उसकी प्राथमिकता में शीर्ष पर था। जो औरत उसे धोखा दे ऐसी औरत के ऊपर अपने बेटे व माताजी-पिताजी की देखभाल का दायित्व कैसे डाल सकता था। 
माया को आये अभी अधिक समय नहीं हुआ था। घर का काम काज उसे आता नहीं, केवल यही बात नहीं थी। माया के व्यवहार से ही लगता था कि वह करना ही नहीं चाहती थी। वह काम को ऐसे ही पड़ा रहने देती मजबूरी में मनोज को ही करना पड़ता। दाल, चावल को बिना साफ किए ही कुकर में डाल देती। ऐसी स्थिति में उस खाने को कैसे खाया जाय? इससे परेशान होकर मनोज का बेटा प्रभात स्कूल जाने से पूर्व दाल-चावल साफ करके जाने लगा। मनोज को लगता इससे तो शादी से पूर्व की ही स्थिति ठीक थी। बर्तन पड़े रहते तो अधिकतर मनोज को ही साफ करने पड़ते। क्योंकि मनोज नहीं चाहता था कि उसका बेटा अपनी पढ़ाई को प्रभावित करके यह कार्य करे या उसकी बुजुर्ग माताजी, जिनका हाथ टूटा हुआ था इस कार्य को करें। ऐसी स्थिति में माया के साथ पति-पत्नी के सामान्य संबन्ध संभव ही न थे। माया वास्तव में पत्नी थी ही नहीं, उसने पत्नी के पद का अपहरण किया था।

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