Saturday, May 13, 2017

सीधे पथ पर पथिक यहां, लोग करत हैं घात

सीधे पथ पर पथिक यहां, लोग करत हैं घात।

कुटिल चाल छलना करत, लेते फ़ेरे सात॥



हम ना धोखेबाज हैं, करते नहीं शिकार।

हानि लाभ चिन्तन नहीं, ना करते व्यापार॥



झूठ और छ्ल के लिये, नर-नारी तैयार।

एक दूसरे से कभी, कर न सकत हैं प्यार॥



जो भी धोखादेत हैं, वो है धोखेबाज।

झूठ बोल छलना करें, सजन सजें ना साज॥



दो लाइन में हम करें, आसमान की बात।

फ़ेसबुक पर मिलत यहां, ना किये मुलाकात॥



दोहा छोटा छ्न्द है, हम करत हैं पसन्द।

ना कोई छलना यहां, ना कोई है फ़न्द॥

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