मित्रो! फ़ुरसत के क्षणों में पुरानी साहित्यिक पत्रिका परिधि-१० जनवरी १०१२ पढ़ने लगा। अशोक जैन ’पोरवाल" जी की रचना ’अगर मैं कभी......." ने ध्यान खींचा। वर्तमान समय में लोगों ने संबन्धों को भावनात्मक पहलू से दूर ले जाकर आर्थिक पहलू पर टिका दिया है। ऐसे समय में पिता के भावनात्मक पत्र के माध्यम से अशोक जी ने एक पिता की भावनाओं किस प्रकार उकेरा है। आइये आप भी पढ़िये
समय की एजेंसी-32
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*कैसे करें कार्य प्रबंधन?*
कार्य प्रबंधन के महत्व को सभी व्यक्ति स्वीकार करने लगे हैं। वर्तमान समय में
कार्य प्रबंधन पर पर्याप्त लिखा जा रहा है। के...
2 hours ago
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