मित्रो! फ़ुरसत के क्षणों में पुरानी साहित्यिक पत्रिका परिधि-१० जनवरी १०१२ पढ़ने लगा। अशोक जैन ’पोरवाल" जी की रचना ’अगर मैं कभी......." ने ध्यान खींचा। वर्तमान समय में लोगों ने संबन्धों को भावनात्मक पहलू से दूर ले जाकर आर्थिक पहलू पर टिका दिया है। ऐसे समय में पिता के भावनात्मक पत्र के माध्यम से अशोक जी ने एक पिता की भावनाओं किस प्रकार उकेरा है। आइये आप भी पढ़िये
शिक्षक दिवस मनाने का औचित्य?
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भारत में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।
परंपरा के पालन में हम भारतवासी अंधभक्त हैं। बिना कारण को जाने परंपरा को
निभात...
4 weeks ago
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