मित्रो! फ़ुरसत के क्षणों में पुरानी साहित्यिक पत्रिका परिधि-१० जनवरी १०१२ पढ़ने लगा। अशोक जैन ’पोरवाल" जी की रचना ’अगर मैं कभी......." ने ध्यान खींचा। वर्तमान समय में लोगों ने संबन्धों को भावनात्मक पहलू से दूर ले जाकर आर्थिक पहलू पर टिका दिया है। ऐसे समय में पिता के भावनात्मक पत्र के माध्यम से अशोक जी ने एक पिता की भावनाओं किस प्रकार उकेरा है। आइये आप भी पढ़िये
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों के छात्र संख्या के आधार पर मर्जर नीति
पर एक प्राथमिक अध्यापक के उद्गार
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क्या होगा अगर गांव के प्राथमिक विद्यालय बंद हो जाएंगे ?
जितेन्द्र कुमार गौड़
*मैं पिछले 5 वर्ष से एक गांव के प्रा...
1 month ago
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