मन्दिर की आरती मस्जिद की अजान बेटियाँ गुरुग्रंथ गीता बाईबल कुरान बेटियाँ
हंसती मुस्कुराती खिलखिलाती बेटियाँ
हर मुश्किल को हंस के सुलझातीं बेटियाँ
माँ बाप की आंखों का तारा बेटियाँ
उनके बुढापे का सहारा बेटियाँ
हर अल्फाज़ का इशारा बेटियाँ
हर खुशी का नजारा बेटियाँ
दिल में बस जाती हैं फूलों की तरह
आँखों में समाती हैं सावन के झूलों की तरह
बनाती हैं सबको अपना नहीं दिखती किसी को कोई झूठा सपना
जो कहती हैं करके वो दिखती हैं
हर ग़लत कदम पर आवाज वो उठाती हैं
फिर भी हर बात पर उन्हें ही क्यों रोका जाता है
फीर भी हर बात पर उन्हें ही क्यों टोका जाता है
ग्रीष्माँ शुक्ला
vaah bahut achchaa!
ReplyDeleteफिर भी हर बात पर उन्हें ही क्यों रोका जाता है
फीर भी हर बात पर उन्हें ही क्यों टोका जाता है