Thursday, June 5, 2025

उर खुशियों का स्रोत है प्यारे,

गमों को खुशी में बदल पीजिए


आपको खुशी मिले न मिले, सबको, अपने से खुशी दीजिए।

उर खुशियों का स्रोत है प्यारे, गमों को खुशी में बदल पीजिए।।

चाह किसी की रहे न बाकी।

स्वयं ही बनना हमको पाकी।

आत्म प्रेम सबसे है निर्मल,

चाहत नहीं, मिले कोई साकी।

सबके अपने-अपने रस हैं, किसी के रस को, ना विरस कीजिए।

उर खुशियों का स्रोत है प्यारे, गमों को खुशी में बदल पीजिए।।

परिवार किसी की है मजबूरी।

किसी की बनती इससे दूरी।

तितली फूलों पर मड़रा कर,

निज मन इच्छा करती पूरी।

लुटने का आनंद है भोगा, लुटेरों को, अब, बेनकाब कीजिए।

उर खुशियों का स्रोत है प्यारे, गमों को खुशी में बदल पीजिए।।

नहीं खोज साथी की करनी।

नहीं किसी की आन है हरनी।

 सीधे हम, शौक न कोई,

शौकीनों की माँग न भरनी।

स्वत्व तुम्हारा, तुम्हें मुबारक, अपने स्वत्व का मजा लीजिए।

उर खुशियों का स्रोत है प्यारे, गमों को खुशी में बदल पीजिए।।

खुशी जहाँ मिलें रमो वहाँ पर।

हम हैं पिछड़े, रहें कहाँ पर।

हम खुद को ही समझ न पाए,

तुम्हारा कर्ज है सारे जहाँ पर।

अपनत्व जो देते, वह हैं अपने, जीवन, साथ में जी लीजिए।

उर खुशियों का स्रोत है प्यारे, गमों को खुशी में बदल पीजिए।।


Tuesday, June 3, 2025

संघर्ष से अब थक गया हूँ

लगता है अब चुक गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।

 

क्रोध अब आता नहीं है।

गान कोई भाता नहीं है।

प्रेम में गर्मी नहीं अब,

उपहार कोई लाता नहीं है।

सोचने अब लग गया हूँ। 

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।


नवीन पथ अब है न रुचता।

अपने लिए कोई न सजता।

कविता अब है नाराज लगती?

लेखनी को भी गद्य फबता।

मौन रहने लग गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।


असहजता भी सहज है अब।

कृत्रिमता भी भाने लगी अब।

प्रेम की आशा न बाकी,

मजबूरी भी गाती लगे अब।

अकेला रहने लग गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।


भीड़ में मैं चल न सकता।

अपनों से अब लड़ न सकता।

शांति का बन रहा पुजारी,

क्रांति मैं अब कर न सकता।

कपट से काटा गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।


तुम हो अब भी उड़ती तितली।

आने लगीं हों भले ही मितली।

चंचलता को अब तो थामो,

चाउमीन तज खाओ इडली।

रिश्तों से लूटा गया हूँ।

संघर्ष से अब थक गया हूँ।।