Monday, June 10, 2024

स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो,

 कुछ मस्ती भी तो जरूरी है


जहाँ चाहो तुम, रहो वहाँ पर, साथ की, ना मजबूरी है।

स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो, कुछ मस्ती भी तो जरूरी है।।

पढ़ी-लिखी अब समझदार हो।

खतरों से भी, खबरदार हो।

अपने पैरों खड़ी हुई हो,

समझती खुद को असरदार हो।

इच्छा अपनी, मर चुकी सारी, तुम्हारी, न रहें, अधूरी है।

स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो, कुछ मस्ती भी तो जरूरी है।।

मजबूरी में साथ न आओ।

जो चाहो, वह गाना गाओ।

साथ हमारे रस न मिलेगा,

जाओ प्यारी, जीवन रस पाओ।

जीवन फसल, लुट गई सारी, बाकी अब, बस तूरी है।

स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो, कुछ मस्ती भी तो जरूरी है।।

रूप, रस, गंध, स्पर्ष नहीं है।

पाने की भी, अब, चाह नही है।

चाहत तुम्हारी, रहीं अधूरी,

तुम्हारे दिल की थाह नहीं है।

नहीं जरूरत, तुम्हें हमारी, तुम्हारी दुनिया,  पूरी है।

स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो, कुछ मस्ती भी तो जरूरी है।।


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