Friday, March 3, 2023

क्या चरित्र की परिभाषा है?

समझ नहीं कुछ भी आता है


 क्या चरित्र की परिभाषा है? समझ नहीं कुछ भी आता है।

कागज के टुकड़े से व्यक्ति, चरित्रवान बन जाता है।।

कदम-कदम पर झूठ बोलता।

रिश्वत लेकर पेज खोलता।

चरित्र प्रमाण वह बांट रहा है,

जिसको देखे, खून खोलता।

देश को पल पल लूट रहा जो, जन सेवक कहलाता है।

क्या चरित्र की परिभाषा है? समझ नहीं कुछ भी आता है।।

चरित्र की परिभाषा कैसी?

छल-कपट की ऐसी-तैसी।

राष्ट्र की जड़ को खोद रहे जो,

तिलक लगाते ऋषियों जैसी।

संन्यासी खुद को बतलाकर, मठाधीश बन इठलाता है।

क्या चरित्र की परिभाषा है? समझ नहीं कुछ भी आता है।।

नर-नारी संबन्ध निराले।

प्रेम से बने, प्रेम के प्याले।

प्रेम में सारे बंधन तोड़ें,

प्रेम लुटाते हैं मतवाले।

निजी प्रेम संबन्धों से कोई, क्यों चरित्रहीन बन जाता है।

क्या चरित्र की परिभाषा है? समझ नहीं कुछ भी आता है।।

बेईमान चरित्रवान क्यों?

चरित्र प्रमाण बांट रहा क्यों?

नारी नर को लूट रही है,

बन जाता नर ही दोषी क्यों?

राष्ट्रप्रेमी प्रेम ये कैसा? प्रेमी प्रेम को मरवाता है।

क्या चरित्र की परिभाषा है? समझ नहीं कुछ भी आता है।

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