तुम मेरे नयनों से रोती हो
मैं तो केवल सींच रहा हूँ, प्रेरणा तुम ही बोती हो।
तुम्हारे अधरों से हँसता में, तुम मेरे नयनों से रोती हो।।
भले ही तुम मेरे पास नहीं हो।
पल नहीं कोई आस नहीं हो।
जीवन में कभी मिल न सकोगी,
करती क्या परिहास नहीं हो?
जो भी, जहाँ भी कर्म में करता, यादों में तुम ही रोती हो।
तुम्हारे अधरों से हँसता में, तुम मेरे नयनों से रोती हो।।
तुम्हें उर में सजाये जीता हूँ।
नित .स्वप्न सुधा, मैं पीता हूँ।
तुम्हारे बिना, नही कोई जीवन,
ना मालूम, मैं, क्यों जीता हूँ?
नयनों में अब भी स्वप्न बसे, निहार रहा मैं, तुम सोती हो।
तुम्हारे अधरों से हँसता में, तुम मेरे नयनों से रोती हो।।
मिलन वायदा, तुमने किया था।
वायदे में, मैंने, स्वप्न जिया था।
आओगी तुम, प्रतीक्षा है अब भी,
याद करें, जो, सुधा पिया था।
जग से मुझको, कुछ चाहिए, मेरे मन की तुम मोती हो।
तुम्हारे अधरों से हँसता में, तुम मेरे नयनों से रोती हो।।
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