जांच और बिन विश्लेषण,व्यक्ति करे विश्वास।
विश्वासघात की पीड़ा, हरदम रहती पास॥
हम तो पथ के पन्थी है, नहीं किसी के साज।
राही को ठग लूटते, फ़िर भी बढ़ता काज॥
जो असत्य पथ पर चलें, सरपट उनसे भाग।
साथी कह जो छल करें, मानव तन में काग॥
अपना कह कर जगत में, क्यों बांधत हैं लोग।
जबरन जो है बांधता, ना कोई है जोग॥
धोखे की ठोकर मिले, फ़िर भी बढ़ते लोग।
जीवन भर भी ठगी कर, शाह का ना संयोग॥
मुफ़्त खोर को ना कभी, मिलता जग में चैन।
मखमल पर भी ना कभी, उनके मुदते नैन॥
अपना हम जिसको कहें, ना कोई है मीत।
शिकारी भी शिकार कर, गात प्रेम के गीत॥
विश्वास की ही आड़ ले, धोखा देते लोग।
प्रेम का फ़न्दा बना के, करते ये उपभोग॥
अपना कर्म ही साथी, और न कोई साथ।
झूठे व्यक्ति का बन्दे, चाह न कोई हाथ॥
धोखेबाज राह खड़े, सावधान हो राह।
पैसा ही देव जिनका, प्राण लेत वो चाह॥
साथ की चाहत ना कर, राह ही साथी जान।
दो कदम साथ चल सके, मांगत है वो दाम॥
अपना साथी आप बन, चाह न कोई हाथ।
गले काटने को यहां, चलते हैं बस साथ॥
छियालीस के हो चुके, जीवन रह उस पार।
अनुभव ने है सीख दी, ना कोई है यार॥
शिकारी के फ़न्दे फ़ंसे, बने फ़िर हैं शिकार।
शिकार का मरना भला, सुनता कौन पुकार॥
मित्रता के नाम यहां, बिछे राह में जाल।
सम्बन्धी उसके बने, होत गांठ में माल॥
धोखा खाकर सीख है, सावधान मत सोय।
ठोकर से जो चोट है, पाठ पढ़े सुख होय॥
सोने को अब जात हैं, बीती काफ़ी रात।
फ़ेसबुक ना बात बने, बिन किए मुलाकात॥
विश्वासघात की पीड़ा, हरदम रहती पास॥
हम तो पथ के पन्थी है, नहीं किसी के साज।
राही को ठग लूटते, फ़िर भी बढ़ता काज॥
जो असत्य पथ पर चलें, सरपट उनसे भाग।
साथी कह जो छल करें, मानव तन में काग॥
अपना कह कर जगत में, क्यों बांधत हैं लोग।
जबरन जो है बांधता, ना कोई है जोग॥
धोखे की ठोकर मिले, फ़िर भी बढ़ते लोग।
जीवन भर भी ठगी कर, शाह का ना संयोग॥
मुफ़्त खोर को ना कभी, मिलता जग में चैन।
मखमल पर भी ना कभी, उनके मुदते नैन॥
अपना हम जिसको कहें, ना कोई है मीत।
शिकारी भी शिकार कर, गात प्रेम के गीत॥
विश्वास की ही आड़ ले, धोखा देते लोग।
प्रेम का फ़न्दा बना के, करते ये उपभोग॥
अपना कर्म ही साथी, और न कोई साथ।
झूठे व्यक्ति का बन्दे, चाह न कोई हाथ॥
धोखेबाज राह खड़े, सावधान हो राह।
पैसा ही देव जिनका, प्राण लेत वो चाह॥
साथ की चाहत ना कर, राह ही साथी जान।
दो कदम साथ चल सके, मांगत है वो दाम॥
अपना साथी आप बन, चाह न कोई हाथ।
गले काटने को यहां, चलते हैं बस साथ॥
छियालीस के हो चुके, जीवन रह उस पार।
अनुभव ने है सीख दी, ना कोई है यार॥
शिकारी के फ़न्दे फ़ंसे, बने फ़िर हैं शिकार।
शिकार का मरना भला, सुनता कौन पुकार॥
मित्रता के नाम यहां, बिछे राह में जाल।
सम्बन्धी उसके बने, होत गांठ में माल॥
धोखा खाकर सीख है, सावधान मत सोय।
ठोकर से जो चोट है, पाठ पढ़े सुख होय॥
सोने को अब जात हैं, बीती काफ़ी रात।
फ़ेसबुक ना बात बने, बिन किए मुलाकात॥
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