ठोकर
मारी आपने जब, हड़बड़ा
कर थे हम गिरे।
आपके कदमों को सहला, उठ गये हम सिरफ़िरे।
आपने जंजीर कानून की में बांधकर धोखे से हमें,
कानून का सम्मान करने अपने पथ पर फ़िर फ़िरे॥
असीम
नहीं है जीवन अपना, किन्तु
असीम इरादे हैं।
पथ चलना है जीवन अपना, गन्तव्य पै नहीं विराजे हैं।
माला नहीं हम कर में जपते, आग में नहीं कर्म से तपते,
झूठ बोल कर ठगा है तुमने, पीड़त मन, सच्चे वादे हैं।
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