Sunday, February 22, 2015

हम तो केवल सपने देखें

आज नहीं तो कल मिल जाओ

जीवन क्या है? समझ न पाये,
जो भी किया नहीं पछताये।
आपकी यादों में हम जीते,
करतीं क्या हो? जान न पाये।

अवकाषों में खेलो, खाओ,
पिय की बाँहों में सो जाओ।
हम तो केवल सपने देखें,
आज नहीं तो कल मिल जाओ।

आपने भी तो मित्र कहा था,
बड़े प्रेम से हस्त गहा था।
प्रेम नहीं अब क्यों कहती हो?
नयनों से क्यूँ अश्रु बहा था?

मजबूरी का जीवन कैसा?
पशु रस्सी से बँधा हो जैसा।
अपने मन को मुक्त करो,
बतलाना फिर लगता कैसा?

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.