Saturday, March 28, 2015

आप हम से क्यों ऐठें हैं?

प्रेम
छोटा-साशब्द
कितना हमदर्द।

प्रेम में धोखा,
गवाँ दिया मौका,
लगाया था चौका।

प्रेम बकवास,
टूटी है आस,
बुझती नहीं प्यास।

प्रेम में धक्का,
लगा दिया छक्का,
जमता नहीं थक्का।

प्रेम का रुक्का,
फँसाने का चुग्गा,
रह गया हक्का-बक्का।

साथ पल दो-चार,
यादों का अचार
मिलते नहीं समाचार।

गुपचुप का विचार,
हमने किया प्रचार,
बेवफाई दो-चार।

जीवन की धार,
छलावा था प्यार,
कट गए यार।

लड़ाई-झगड़ा छूटा,
प्रेम का धागा टूटा,
गैर का गड़ गया खूँटा।

दिल को दबाये बैठे हैं,
आपको छुपाये बैठे हैं,
आप हम से क्यों ऐठें हैं?

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.