प्रेम है समर्पण
रोशनी विश्वकर्मा
प्रेम ही सृजन
प्रेम ही गुंजन
प्रेम ही प्रकृति
प्रेम ही संस्कृति
प्रेम की परिभाषा
जाने ना रे कोई
अभागा है वो जो
प्रेम पा कर भी खोय
प्रेम है धड़कन
प्रेम है समर्पण
प्रेम ही ईस्वर
प्रेम ही पूजा
इसके बिना
बेंरंग है दुनिया
प्रेम के पास ने ही
बाँधे रखा है
इंसा को इंसा से
काश की समझ पाते
आप और हम
तो होती ना यूँ दुरी
रोशनी विश्वकर्मा
प्रेम ही सृजन
प्रेम ही गुंजन
प्रेम ही प्रकृति
प्रेम ही संस्कृति
प्रेम की परिभाषा
जाने ना रे कोई
अभागा है वो जो
प्रेम पा कर भी खोय
प्रेम है धड़कन
प्रेम है समर्पण
प्रेम ही ईस्वर
प्रेम ही पूजा
इसके बिना
बेंरंग है दुनिया
प्रेम के पास ने ही
बाँधे रखा है
इंसा को इंसा से
काश की समझ पाते
आप और हम
तो होती ना यूँ दुरी
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