बुद्धिमान तू सुख है ढूढ़ती
हम तो केवल प्रेम को जानें,
और कोई भी राह न देखी।
प्रेम राह के पथिक हैं हम तो,
तूने दिल की राह न देखी।
बुद्धिमान तू सुख है ढूढ़ती,
दिल ने दुख की राह न देखी।
कठिनाइयों से घबराई तू,
तूने हमारी चाह न देखी।
आदर्शों की बात है करती,
झूँठी, दिल की राख न देखी।
चाह करें क्यूँ? तुझे हम पायें,
मरुस्थल में बरसात न देखी।
चूमा पहले, फिर ठुकराया,
तेरी अदा, कहीं और न देखी।
तुझे छोड़ हम जायँ कहाँ पर,
हमने कोई और, राह न देखी।
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