विवेकानन्द के गीत न गाओ।
उनके पथ चलकर दिखलाओ।।
कर्मठ बन, शक्ति की पूजा
दरिद्र मान नारायण पूजा।
अनूठे धर्म की राह दिखाई,
विवेकानन्द सम नहीं है दूजा।
नर-नारी संग बढ़ते जाओ।
उनके पथ चलकर दिखलाओ।।
युवा शक्ति को पथ दिखलाया,
समन्वय का था पाठ पढ़ाया।
राष्ट्रप्रेमी कर शक्ति साधना,
बीजमंत्र था यह सिखलाया।
शिक्षित बन, शिक्षा फैलाओ।
उनके पथ चलकर दिखलाओ।।
शिकागो में जा शंख था फूँका,
अध्यात्म बिना, मन रहेगा भूखा।
चरित्र-गठन की सीख दी हमको,
विज्ञान का भी ना पड़ जाय सूखा।
प्रगति पथ पर बढ़ते जाओ।
उनके पथ चलकर दिखलाओ।।
वेद मार्ग के पथिक थे स्वामी,
रामकृष्ण के थे अनुगामी।
संन्यासी बन गए भले ही,
राष्ट्र सेवा की भरी थी हामी।
कर्म से पूजा करते जाओ।
उनके पथ चलकर दिखलाओ।।
No comments:
Post a Comment
आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.