दैनिक जागरण, पानीपत, 25 जनवरी 2014 से साभार
पृष्ठ संख्या 6,एक नजर
90वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी ने 30 साल छोटी महिला से रचाई दूसरी शादी
‘‘कोझिकोडः वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी और खतरनाक कीटनाशक इंडोसल्फान के खिलाफ मुहिम चलाने वाले एएस नारायण पिल्लई (90) ने अपने से 30 साल छोटी महिला से दूसरी शादी रचाई है। उनकी पहली पत्नी की वर्ष 1986 में मौत हो गई थी। अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी संगठन की केरल इकाई के उपाध्यक्ष पिल्लई ने गुरुवार को कोझिकोड निवासी आंगनवाड़ी कर्मचारी राधा (60) से यहाँ सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में शादी की। इस दौरान उनके कुछ करीबी लोग उपस्थित थे। पिल्लई के मुताबिक उन्होंने यह शादी वैवाहिक सुख के लिए नहीं बल्कि एक गरीब महिला को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए की है। पिल्लई करीब चार दशक पहले वायनाड में बस गए थे।’’
उपरोक्त समाचार छोटा होते हुए भी ध्यान खींचता है, जिसमें असामान्य उम्र पर शादी, दोनों की उम्र में असामान्य अन्तर व शादी का असामान्य उद्देश्य महत्वपूर्ण पहलू हैं। मै पिल्लई दंपत्ति को बधाई और सफल वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ।
इस समाचार ने मुझे 14 वर्ष पीछे पहुँचा दिया, जब मैंने इसी उद्देश्य को लेकर एक आश्रमवासिनी विधवा महिला से पारिवारिक असहमति को नजरअन्दाज करते हुए अन्तर्जातीय विवाह किया था। यह अलग बात है मैं उस समय 30 वर्षीय अविवाहित युवक था। किन्तु मेरी शादी असफल हुई और प्राप्त अनुभव से महसूस हुआ कि शादी और सहायता दोनों अलग-अलग बिन्दु हैं। शादी सहायता का माध्यम नहीं हो सकती। शादी की अपनी आवश्यकताएँ, अपेक्षाएँ व अनिवार्यताएँ होतीं हैं। दोनों एक-दूसरे की शक्ति होते हैं। शादी में दोनों का समानता के स्तर पर एक-दूसरे के लिए समर्पण होता है। किसी भी प्रकार की दया शादी का आधार नहीं हो सकती।
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