Monday, May 21, 2012

एक और शहादत

बड़े गर्व की अनुभुति होती है, जब मालुम पड़ता है कि वर्तमान भ्रष्टाचार युग में भी ईमानदार अधिकारी भी हैं और वे साहस के साथ बिना इस बात की परवाह किए कि उनकी जान खतरे में है अपने कर्तव्य का निर्वाह किये जा रहे हैं- वास्तव में मंदिरों में जाने वाले नहीं, ये अधिकारी और कर्मचारी और वे सामान्य व्यक्ति ही कृष्ण के सच्चे अनुयायी हैं जो बिना प्राणों की परवाह किये अपने कर्तव्य का निर्वाह किये जा रहे हैं और बलिदान दे रहे हैं. गीता में यही तो कहा गया है- कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फ़लेसु कदाचन.
           जी हां, घोटालों के खिलाफ़ अपने कर्तव्य का निर्वाह करने वाले शहीदों की श्रृंखला में स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के ठेकों में भ्रष्टाचार का पर्दाफ़ाश करने वाले सत्येंद्र दुबे, पेट्रो उत्पादों में मिलावट का विरोध करने वाले मंजुनाथ, अवैध खनन को रोकने वाले आई.पी.एस.नरेन्द्र कुमार के बाद कर्नाटक में सहकारी आवास समितियों में अवैध भू-आबंटन का भंडाफ़ोड़ करने वाले महंतेश ने भी शहीदों की सूची में नाम लिखा लिया.
         अभी तक व्हिस्टिल ब्लोअर या लोकपाल बिल में से कोई भी पास नहीं हुआ है, क्यों कि हमारे जनप्रतिनिधियों को भ्रष्टाचार से प्यार है? वे यही चाहते हैं कि बेईमानी व भ्रष्टाचार सुरक्षित रहें और वे बाहर मजे करें...............................

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