यदि तुम
नहीं है
मुझे विश्वास
हो चुका
हताश
आश्वासन
वचन वायदों से।
नहीं है
लगाव
पंरपराओं
प्रथाओं
कायदों से।
नहीं है
मुझे डर
जीवन-मरण
यश-अपयश
नुकसान-फायदों से।
यदि
तुम हो तैयार
चलने को यार
सब कुछ त्यागकर
दुनियाँ से भागकर
महत्वाकांक्षाएं मारकर
धन,पद,प्रतिष्ठा के
बंधनो से मुक्त होकर
अपना पवित्र
निस्वार्थ
निश्चल प्रेम
समर्पित करने को।
होली क्यों मनााई जाती है?
-
* कल दिनांक 12 मार्च 2025 को प्राचार्य कक्ष में कार्यालयीन कामों के
अन्तर्गत विभिन्न कक्षाओं की माॅनीटर डायरियों पर हस्ताक्षर कर रहा था। उसी
समय एक कक...
2 days ago
No comments:
Post a Comment
आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.