यदि तुम
नहीं है
मुझे विश्वास
हो चुका
हताश
आश्वासन
वचन वायदों से।
नहीं है
लगाव
पंरपराओं
प्रथाओं
कायदों से।
नहीं है
मुझे डर
जीवन-मरण
यश-अपयश
नुकसान-फायदों से।
यदि
तुम हो तैयार
चलने को यार
सब कुछ त्यागकर
दुनियाँ से भागकर
महत्वाकांक्षाएं मारकर
धन,पद,प्रतिष्ठा के
बंधनो से मुक्त होकर
अपना पवित्र
निस्वार्थ
निश्चल प्रेम
समर्पित करने को।
धर्म, कर्म और शिक्षा- विवेकानन्द के सन्दर्भ में
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शिक्षा मानव विकास के लिए आधारभूत आवश्यकता है। इस तथ्य पर सार्वकालिक
सर्वसहमति रही है। शिक्षा के आधारभूत सिद्धांतों को लेकर विभिन्न समाजों में
मतान्तर रहा...
1 week ago
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