Friday, October 31, 2025

हमारे साथ ना चल पाएगा

 सच से भय लगता है जिसको


जिसने चाहा लूट लिया है।

हमने सब स्वीकार किया है।

खट्टे मीठे अनुभव अपने,

पल-पल हमने खूब जिया है।


नहीं किसी से हमें षिकायत।

पढ़ी बहुत थीं, हमने आयत।

हमको अपनी धरती प्यारी,

नहीं जाना है हमें विलायत।


साथ हमारे जो भी आया।

हमने उसको गले लगाया।

हम हैं राही राह ही प्यारी,

राह ने ही बस साथ निभाया।


साथ हमारे कौन चलेगा?

कष्टों से झोली कौन भरेगा?

अभावों में हम आनंद पाते,

प्रेम की खातिर कौन सहेगा?


सुविधाओं से प्रेम है जिसको।

धन का कोष प्रिय है जिसको।

हमारे साथ ना चल पाएगा,

सच से भय लगता है जिसको।


Wednesday, October 22, 2025

दीपावली पर दोहा छंद...

 दीपोत्सव की रात में, मन का दीप जलाय।

ज्ञान ज्योति आलोक दे,  सत की राह दिखाय।

 

दीपों की रोशनी से, जगमग हो संसार।

अंधकार को दूर कर, फैले प्रेम अपार।

 

ज्ञान का दीप जलाकर, हम पाएं सुख संत।

दीप मालिका दीप से, फ़ैले ज्ञान अनंत।

 

प्रेम, ज्ञान आलोक से, दीप जलाएं नीर।

प्रकाश पर्व की रात, बढ़े प्रेम की धीर।

Tuesday, October 21, 2025

अज्ञान को दूर भगाएं

 

ज्ञान दीप जलाएं

 

ज्ञान का दीप जलाएं,

अज्ञान को दूर भगाएं।

जीवन को नई दिशा दें,

सत्य की राह चलाएं।

 

मन को शुद्ध बनाएं,

प्रेम का संदेश फैलाएं।

ज्ञान की शक्ति से जगमग,

अंधकार को दूर भगाएं।

 

आओ हम सब मिलकर,

ज्ञान का दीप जलाएं।

सत्य और प्रेम की जीत हो,

अज्ञान का अंधकार भगाएं।

 

दीपावली की शुभ रात,

ज्ञान का दीप जलाएं।

अज्ञान को दूर भगाएं,

सत्य की राह पर चलाएं।

 

दीपों की रोशनी से जगमग,

अंधकार को दूर भगाएं।

प्रेम और ज्ञान का संदेश,

हर दिल में फैलाएं।

 

दीपावली का त्योहार,

आओ आज मनाएं।

ज्ञान का दीप जलाकर,

अज्ञान को दूर भगाएं।

Saturday, October 18, 2025

नाम छोड़कर दीपावली पर

 जन सेवा के दीप जलाएं

           



राम जी के आदर्श संजोएं।

कर्म करें और खुशियाँ बोएं।

सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह,

ब्रह्मचर्य को साध के सोएं।


नहीं किसी का दिल है दुखाना।

महनत कर है खाना खाना।

नहीं किसी के जाल में फसना,

नहीं किसी को है ठुकराना।


रूठे हुओ को हमें मनाना।

प्रेम से दिल के दीप जलाना।

अपने अपने गान छोड़कर,

समूह गान हम सबको गाना।


प्रतीकों से है आगे बढ़ना।

नहीं किसी पर दोष है मढ़ना।

छल, कपट, नफरत को तज,

निष्ठा, विश्वास की सीढ़ी चढ़ना।


नहीं किसी को विजित है करना।

नहीं किसी का मान है हरना।

हार-जीत से आगे बढ़कर,

सबका दिल खुशियों का झरना।


राम के केवल गीत न गाएं।

आदर्शों को हम अपनाएं।

नाम छोड़कर दीपावली पर,

जन सेवा के दीप जलाएं।


Wednesday, October 15, 2025

नर-नारी मिल दीप जलाएं।

 नर-नारी मिल दीप जलाएं

            


दीपावली पर दीप जलाएं।

अंतर्मन को हम महकाएं।

सहयोग, समन्वय व सौहार्द्र से

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


शब्द वाण से दिल न जलाएं।

नफरत को हम जड़ से मिटाएं।

इक दूजे का हाथ थाम कर,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।



दिल से दिल मिल गीत सुनाएं।

खुद सीखें, औरों को सिखाएं।

ज्ञान को व्यवहार में लाकर,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


आचरण अपना शुद्ध बनाएं।

भूल किसी को नहीं लुभाएं।

धोखे, कपट, षड्यंत्र से बच,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


पथ में सबका साथ निभाएं।

जीवन खुषियों से महकाएं।

धोखे और कपट से प्यारे,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


अपने-अपने गीत न गाएं।

कमजोरों को ना ठुकराएं।

अकेले-अकेले चलोगे कब तक?

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


साथ पाएं और साथ निभाएं।

नहीं किसी को हम ठुकराएं।

कमों के फल अवष्य मिलेंगे,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।


जल, जंगल और जमीन बचाएं।

मानवता को मिल महकाएं।

नारी का सम्मान करें हम,

नर-नारी मिल दीप जलाएं।



कोई पुतला नहीं बनाएं।

कोई पुतला नहीं जलाएं।

इक दूजे को प्रेम करें

इक दूजे को गीत सुनाएं।


केवल पूजा नहीं करेंगे।

नहीं किसी का चीर हरेंगे।

षिक्षा और सयंम के द्वारा,

मिल सबको भय मुक्त करेंगे।


साथ जीएं और साथ निभाएं। 

अपने-अपने गीत न गाएं।

समझ,समन्वय और सयंम से,

विजयादषमी पर्व मनाएं।


प्रकृति को था राम ने पूजा।

सभी एक हैं, नहीं काई दूजा।

पर्यावरण के सभी घटक हैं,

सिंह हो या फिर हो चूजा।


शक्ति साधना करनी सबको।

मिल विकास करना है हमको।

नारी का नर करे समर्थन,

नारी शक्ति देती है नर को।


नव देवी तक नहीं हों सीमित।

हर देवी का सुख हो बीमित।

षिक्षा, शक्ति, अवसर बेटी को,

मिल कर करेंगे,विकास असीमित।


पूजा के वष गीत न गाएं।

देवी तक सुविधा पहुँचाएं।

नारी विजय का पथ प्रषस्त कर,

विजया दषमी पर्व मनाएं।


कुप्रथाओं से मुक्त आज हों।

नारी से ही सभी काज हों।

नर-नारी नहीं भिन्न-भिन्न हैं,

दोनों से सब सजे साज हैं।


मिलकर आगे बढ़ना होगा।

प्रेम दोनो का गहना होगा।

इक-दूजे का हाथ थामकर,

आनंद की सीढ़ी चढ़ना होगा।


Wednesday, October 8, 2025

साथ-साथ हम रहें अकेले

साथ-साथ हम रहें अकेले

                                 


तुम्हारे लिए हम जीना भूले, साथ न तुम्हारे ख्वाब हैं।

साथ साथ, हम रहें अकेले, अलग तुम्हारा हिसाब है।।

प्रदर्शन है तुम्हारा दर्शन।

चाहत है गैरों का वर्जन।

प्रेम भावना मरी तुम्हारी,

जिंदा ना कर पाए सर्जन।

शिक्षा नहीं, कुछ तथ्य रट लिए, कमाया झूठा ताब है।

साथ साथ, हम रहें अकेले, अलग तुम्हारा हिसाब है।।

अपने पैरों खड़ी हो प्यारी।

पथ चलते करती हो यारी।

सोशल मीडिया की लाइक ने,

बर्बाद करी परिवार की पारी।

धन को ही सब कुछ स्वीकारा, स्वार्थ का वश सैलाब है।

तुम्हारें साथ, हम रहें अकेले, तुम्हारा अलग हिसाब है।।

सबके साथ हो घुलती मिलती।

गैरों से जबरन, रिश्ते सिलती।

गैरों के लिए सजती हो तुम,

आँख दिखाती, पति पर पिलती।

नहीं चाहिए साथ पति का, धन ही केवल आब है।

साथ साथ, हम रहें अकेले, अलग तुम्हारा हिसाब है।।

हमको हरदम तुम भाती हो।

गैरों के गान, तुम गाती हो।

विश्वास नहीं, अभी भी मुझ पर,

पल-पल मुझको ठुकराती हो।

नौकरी की चाहत है हरदम, पढ़ती नहीं किताब है।

साथ साथ, हम रहें अकेले, अलग तुम्हारा हिसाब है।।