Wednesday, October 8, 2025

साथ-साथ हम रहें अकेले

साथ-साथ हम रहें अकेले

                                 


तुम्हारे लिए हम जीना भूले, साथ न तुम्हारे ख्वाब हैं।

साथ साथ, हम रहें अकेले, अलग तुम्हारा हिसाब है।।

प्रदर्शन है तुम्हारा दर्शन।

चाहत है गैरों का वर्जन।

प्रेम भावना मरी तुम्हारी,

जिंदा ना कर पाए सर्जन।

शिक्षा नहीं, कुछ तथ्य रट लिए, कमाया झूठा ताब है।

साथ साथ, हम रहें अकेले, अलग तुम्हारा हिसाब है।।

अपने पैरों खड़ी हो प्यारी।

पथ चलते करती हो यारी।

सोशल मीडिया की लाइक ने,

बर्बाद करी परिवार की पारी।

धन को ही सब कुछ स्वीकारा, स्वार्थ का वश सैलाब है।

तुम्हारें साथ, हम रहें अकेले, तुम्हारा अलग हिसाब है।।

सबके साथ हो घुलती मिलती।

गैरों से जबरन, रिश्ते सिलती।

गैरों के लिए सजती हो तुम,

आँख दिखाती, पति पर पिलती।

नहीं चाहिए साथ पति का, धन ही केवल आब है।

साथ साथ, हम रहें अकेले, अलग तुम्हारा हिसाब है।।

हमको हरदम तुम भाती हो।

गैरों के गान, तुम गाती हो।

विश्वास नहीं, अभी भी मुझ पर,

पल-पल मुझको ठुकराती हो।

नौकरी की चाहत है हरदम, पढ़ती नहीं किताब है।

साथ साथ, हम रहें अकेले, अलग तुम्हारा हिसाब है।।