Tuesday, March 25, 2025

स्वारथ हित है प्रेम उमड़ता

स्वारथ का है खेल जगत का, स्वारथ का ही मेल है।

स्वारथ हित है प्रेम उमड़ता, घर बन जाता  जेल है।।

स्वारथ के हैं बहन और भाई।

स्वारथ के हैं ताऊ और ताई।

स्वारथ हित जो एक हुए थे,

स्वारथ खोदे फिर से खाई।

स्वारथ हित है सेवा होती, हड्डियों से निकले तेल है।

स्वारथ हित है प्रेम उमड़ता, घर बन जाता  जेल है।।

स्वारथ को अब सब स्वीकारो।

स्वारथ जीओ, कभी न हारो।

स्वारथ है, सबकी संतुष्टि,

स्वारथ में भी, हक ना मारो।

स्वारथ ही है जीवन यात्रा, स्वारथ मौत की सेल है।

स्वारथ हित है प्रेम उमड़ता, घर बन जाता  जेल है।।

स्वारथ हित है पूजा होती।

स्वारथ हित खुलती है धोती।

स्वारथ हित है कोख बिक रही,

स्वारथ हित बिकती है पोती।

स्वारथ में संबन्ध बिक रहे, स्वारथ की रेलम-पेल है।

स्वारथ हित है प्रेम उमड़ता, घर बन जाता  जेल है।।


Saturday, March 22, 2025

स्वारथ के हैं संगी-साथी

स्वारथ की ही दुनिया है


स्वारथ हित है मुन्ना पाला, स्वारथ की ही मुनिया है।

स्वारथ के हैं संगी-साथी, स्वारथ की ही दुनिया है।।

स्वारथ ही है मूल जगत का।

स्वारथ ही है पूल जगत का।

स्वारथ हित संबन्ध हैं बनते,

स्वारथ ही है भजन भगत का।

स्वारथ हित ही विद्वान यहाँ, स्वारथ हित ही गुनिया है।

स्वारथ के हैं संगी-साथी, स्वारथ की ही दुनिया है।।

स्वारथ हित संबन्ध की चाहत।

स्वारथ हित ही पद की चाहत।

स्वारथ हित ही मर-मिटे धन पर,

स्वारथ ही है यश की चाहत।

स्वारथ का ही नाम परमारथ, स्वारथ की ही धुनिया है।

स्वारथ के हैं संगी-साथी, स्वारथ की ही दुनिया है।।

स्वारथ से ही स्वारथ तुमको।

स्वारथ हित भाया ना हमको।

स्वारथ हित संबन्ध था जोड़ा,

स्वारथ हित फोड़ा है बम को।

स्वारथ का सम्मान यहाँ पर, स्वारथ हित ही चुनिया है।

स्वारथ के हैं संगी-साथी, स्वारथ की ही दुनिया है।।


Sunday, March 9, 2025

अहसास प्रेम का कराया तुमने

 विश्वास अभी भी तुम पर है


साथ किसी के रहो भले ही, अहसान तुम्हारा हम पर है।

अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।

हम मनमौजी भटक रहे थे।

चलते-चलते अटक रहे थे।

साथ कोई भी नहीं था जग में,

निराशाओं में लटक रहे थे।

आज भी अकेले अपने पथ पर, विश्वास नहीं अब खुद पर है।

अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।

हमें तुम्हारा हाथ चाहिए।

तुम्हें दुनिया का साथ चाहिए।

हमारा साथ न भाता तुमको,

ऊँचा तुम्हें बस माथ चाहिए।

हमें आश केवल है तुमसे, तुम्हें नाज़ गैरो पर हैं।

अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।

हमें छोड़कर सब तुम्हें प्यारे,

समझा कर, हम तुमसे हारे।

एक चाह तुमरी बस देखी,

करें प्रशंसा तुम्हारी सारे।

बिना पंख तुम उड़ान हो भरतीं, हमारा ध्यान पैरों पर है।

अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।

हमारा विरोध प्रिय है तुमको।

साथ न भाता हमारा तुमको।

संघर्षों के हम है राही,

सुविधाओं की चाह है तुमको।

हम गाँवों के रहे पुजारी, तुम्हारा ध्यान शहरों पर है।

अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।

नहीं, सुखी हम तुम्हें रख पाए।

नहीं, साथ मिल हम चल पाए।

पथ चलते संबन्ध बनाकर,

तुमने समझा धन, यश पाए।

हमने विकास चाहा था तुमरा, तुम्हारा लोभ दुनिया पर है।

अहसास प्रेम का कराया तुमने, विश्वास अभी भी तुम पर है।।


Friday, March 7, 2025

प्रेम नहीं बाजार में बिकता

 प्रेम का कोई मोल नहीं है


प्रेम में नहीं प्रदर्शन होता, प्रेम का कोई तोल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।

प्रेम में नहीं कोई सौदेबाजी।

प्रेम में नहीं होता कोई काजी।

प्रेम कभी न पुराना होता,

प्रेम की खुशबू रहती ताजी।

प्रेम पल्लवित अन्तर्मन में, यह ऊपर का खोल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।

प्रेम में नहीं होता कोई धोखा।

प्रेम नहीं है, लूट का मौका।

प्रेम क्रिकेट का खेल नहीं है,

प्रेम में लगता नहीं है चौका।

प्रेम है जीवन, प्रेम समर्पण, यह काया का होल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।

प्रेम के पथ से सबने रोका।

प्रेम को हर पल गया है टोका।

प्रेम है जीना प्रेमी हित में,

प्रेम नहीं, जब चाहा ठोका।

प्रेम है झरना प्रेमी उर का, चुकाना कोई टोल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।

प्रेम है, कोई सौदा नहीं तुमसे,

प्रेम तुम्हें, दिखावे के जग से।

प्रेम खोजते मोबाइल पर तुम,

प्रेम प्रतीक्षा हमको कब से?

प्रेम ही तप है, प्रेम जगत है, प्रेम सार है, खोल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।


Tuesday, March 4, 2025

जिंदा रहना जरूरी है

 आजादी

संभव नहीं,

जब तक

किसी का हाथ चाहिए,

किसी का साथ चाहिए,

कानून की सुरक्षा चाहिए

तो कानून भी स्वीकारना होगा,

परिवार चाहिए

बंधनों को मानना होगा

रोटी, कपड़ा और मकान

भी बंधन है

बंधन है यह जीवन भी

तभी तो

युगों युगों से

रही है चाह मुक्ति की,

चार पुरुषार्थ माने गए

धर्म, अर्थ काम और मोक्ष

पर मिले किसी को

जिज्ञासा अभी है

बंधन भी है

नहीं चाहिए मुझे

आजादी

किंतु

जिंदा रहना जरूरी है

भले ही जीना

मजबूरी है।

Sunday, March 2, 2025

सुविधाओं के भोग में

 कैसे बने फौलाद?


आई लव यू वाक्य ने, यूथ किया बर्बाद।

सुविधाओं के भोग में, कैसे बने फौलाद?

पढ़ने की क्षमता घटी।

मोबाइल लड़की पटी।

कक्षा में भी गेम हैं,

बन रहे देखो हठी।

यू-ट्यूब बस देखकर, बनना चाहें कणाद।

सुविधाओं के भोग में, कैसे बने फौलाद?

पढ़ना-लिखना छोड़कर।

अपनों से मुहँ मोड़कर।

गर्लफैण्ड से चेट कर,

चाँद लायेंगे तोड़कर।

चाउमीन भक्षण करें, खाते नहीं सलाद।

सुविधाओं के भोग में, कैसे बने फौलाद?

प्रेम बहुत हल्का किया।

एक से ना भरता जिया।

बलात्कार के केस कर,

चाह रहीं, देखो पिया।

पति से बस धन चाहिए, प्रेमी से औलाद।

सुविधाओं के भोग में, कैसे बने फौलाद?

लिव इन में, रहना इन्हें।

विधर्मी ही भाते जिन्हें।

बहत्तर टुकड़ों में काटकर,

फेंका जाता है उन्हें।

सेल्फी ही बस सेल्फ है, कैसे हों आबाद?

सुविधाओं के भोग में, कैसे बने फौलाद?