Friday, March 7, 2025

प्रेम नहीं बाजार में बिकता

 प्रेम का कोई मोल नहीं है


प्रेम में नहीं प्रदर्शन होता, प्रेम का कोई तोल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।

प्रेम में नहीं कोई सौदेबाजी।

प्रेम में नहीं होता कोई काजी।

प्रेम कभी न पुराना होता,

प्रेम की खुशबू रहती ताजी।

प्रेम पल्लवित अन्तर्मन में, यह ऊपर का खोल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।

प्रेम में नहीं होता कोई धोखा।

प्रेम नहीं है, लूट का मौका।

प्रेम क्रिकेट का खेल नहीं है,

प्रेम में लगता नहीं है चौका।

प्रेम है जीवन, प्रेम समर्पण, यह काया का होल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।

प्रेम के पथ से सबने रोका।

प्रेम को हर पल गया है टोका।

प्रेम है जीना प्रेमी हित में,

प्रेम नहीं, जब चाहा ठोका।

प्रेम है झरना प्रेमी उर का, चुकाना कोई टोल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।

प्रेम है, कोई सौदा नहीं तुमसे,

प्रेम तुम्हें, दिखावे के जग से।

प्रेम खोजते मोबाइल पर तुम,

प्रेम प्रतीक्षा हमको कब से?

प्रेम ही तप है, प्रेम जगत है, प्रेम सार है, खोल नहीं है।

प्रेम नहीं बाजार में बिकता, प्रेम का कोई मोल नहीं है।।


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