राष्ट्रप्रेमी है प्रेम लुटाता।
सर्दी से सब ठिठुर रहे हैं।
मौसम को हम झेल रहे हैं।
रूस यूक्रेन में युद्ध हो रहा,
जीवन से ही खेल रहे हैं।
कोरोना की आहट फिर से।
नहीं किसी की चाहत फिर से।
दो हजार बाईस बीत गया यूँ,
तेईस की गरमाहट फिर से।
आओ नई कुछ आस जगाएं।
संबन्धों में गरमाहट लाएं।
शांति और अहिंसा की खातिर,
नफरत तजकर गले लगाएं।
युद्ध का, ये, समय नहीं है।
विकास हो सबका, यही सही है।
जो बीत गया, वह बीत गया है,
प्रकृति प्रेम की बांह गही है।
मिलकर आगे बढ़ना होगा।
बाधाओं को तजना होगा।
दिखावा बहुत किया है अब तक,
यथार्थ के पथ पर चलना होगा।
युद्ध में, ये, वर्ष न बीते।
हाथ नहीं, रह जाएं रीते।
बुद्धि से सब काम करें पर,
दिलों से, दिलों को आओ जीतें।
जबरन के संबन्ध न थोपें।
कोई किसी को छुरा न भोंके।
नर-नारी मिल बढ़ें प्रेम से,
तन से सिर, ना जुदा हो, रोकें।
लिव इन में, तुम रहो भले ही।
प्रेम से, प्रेम को, सहो भले ही।
साथी को, कोई घाव न देना,
प्रेम से हो अलगाव भले ही।
नव वर्ष का आनंद मनाओ।
ध्वनि प्रदूषण नहीं बढ़ाओ।
उत्सव में हो, जीवन प्यारा,
पर्यावरण को ना क्षति पहुँचाओ।
आओ! मिल, परिवार बचाएं।
समाज को ना क्षति पहुँचाएं।
वैयक्तिक स्वातंत्र भले लो,
वसुधा कुटुंब है, इसे सजाएं।
ईर्ष्या द्वेष नफरत को छोड़ें।
बम और पटाखे, न फोड़ें।
बाल, वृद्ध, महिलाओं की सुरक्षा,
आओ, दिलों को दिलों से जोड़ें।
राष्ट्रप्रेमी है प्रेम लुटाता।
नहीं किसी का शीश झुकाता।
सबका अपना-अपना पथ है,
तेईस का स्वागत! बाईस को टाटा!
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