बिखर गए हैं सारे सपने, मंजिल का मुझे ज्ञान नहीं है।
आप से रिश्ता कोई भले नहीं, अलगाव का भान नहीं है।
रिश्ते तो गैरों से होते, अपनों से कोई, व्यवधान नहीं है।
आप भले ही भिन्न समझतीं, अपना-पराया कोई नहीं है।
हम तो एक सदैव रहेंगे, आपको भले ही अहसास नहीं है।
तन से हो जाओ भले दूर, धन की हमें दरकार नहीं है।
मन तो हमें आप दे ही चुकीं हैं, वापसी का आधार नहीं है।
हिम्मत हो तो सामने आओ, नजर मिला कहो प्यार नहीं है।
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