आप हो हमारी हम आपके हैं हो चुके,
कहने में प्यारी आज क्यूँ शरमाती हो।
अपने को हमें आप पहले ही सौंप चुकी,
मिलने से आज फिर क्यूँ कतराती हो।
प्रेम की पथिक हो, निर्णय कर चुकीं,
दुनियाँ के आगे क्यूं चेहरा छुपाती हो।
छोड़ लोक-लाज, हमारे साथ आ ही चुकीं,
मिलन के पल नहीं, क्यूँ हरषाती हो।
कहने में प्यारी आज क्यूँ शरमाती हो।
अपने को हमें आप पहले ही सौंप चुकी,
मिलने से आज फिर क्यूँ कतराती हो।
प्रेम की पथिक हो, निर्णय कर चुकीं,
दुनियाँ के आगे क्यूं चेहरा छुपाती हो।
छोड़ लोक-लाज, हमारे साथ आ ही चुकीं,
मिलन के पल नहीं, क्यूँ हरषाती हो।
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