Thursday, December 19, 2024

पल भर भी मैं अलग न रहता,


सुधा तुम्हारे कर, पीता हूँ।



 साथ भले ही आज नहीं हो, साथ की यादों में जीता हूँ।
पल भर भी मैं अलग न रहता, सुधा तुम्हारे कर, पीता हूँ।।
साथ भले ही तुम्हें न भाता।
साथ तुम्हारे मैं मदमाता।
प्रेम तुम्हारा भरा है उर में,
गीत तुम्हारे अब भी गाता।
नेह तुम्हारा भरा हुआ है, युग बीते पर, नहीं रीता हूँ।
पल भर भी मैं अलग न रहता, सुधा तुम्हारे कर, पीता हूँ।।
जहाँ सुखी हो, रहो वहीं पर।
याद न करना, मुझे कहीं पर।
तड़पन का आनन्द मुझे है,
पर भर भूला नहीं कहीं पर।
साथ किसी के खुशियाँ पाओ, साथ तुम्हारे ही जीता हूँ।
पल भर भी मैं अलग न रहता, सुधा तुम्हारे कर, पीता हूँ।।
ख्वाबों में तुम साथ हो हर पल।
कामों में तुम साथ हो हर पल।
तुम्हारे हाथ ही खाना-पीना,
तुम्हारे साथ ही सोता प्रति पल।
जीवन तो गया साथ तुम्हारे, ना मालूम मैं क्यों जीता हूँ।
पल भर भी मैं अलग न रहता, सुधा तुम्हारे कर, पीता हूँ।।

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.