Sunday, August 4, 2024

लक्ष्य नहीं, गन्तव्य नहीं कोई

अविरल चलते रहना है


लक्ष्य नहीं, गन्तव्य नहीं कोई, अविरल चलते रहना है।

इक-दूजे की खुशी की खातिर, इक-दूजे को सहना है।।

चलती का नाम है गाड़ी मानो।

घर में है जो, घरवाली मानो।

अहम् त्याग है, नदी उतरती,

स्वत्व मिटा सागर में मानो।

अहम् से ही टकराव हैं होते, साथ-साथ हमें रहना है।

इक-दूजे की खुशी की खातिर, इक-दूजे को सहना है।।

सुख और दुख हैं आते-जाते।

दुख में रोते, सुख में गाते।

समय-समय के दोस्त हों दुश्मन,

समय-समय के रिश्ते-नाते।

प्रेम और सम्मान मिलाकर, साथ-साथ हमें बहना है।

इक-दूजे की खुशी की खातिर, इक-दूजे को सहना है।।

नर-नारी मिल, परिवार बनाते।

परिवार मिल, हैं समाज सजाते।

समष्टि में है, व्यष्टि सुरक्षित,

व्यक्ति प्रेम के रंग रचाते।

प्रेम है जीवन, गन्तव्य नहीं कोई, प्रेम, प्रेम में रहना है।

इक-दूजे की खुशी की खातिर, इक-दूजे को सहना है।।

 

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