परीक्षा पर जोर देने
की आवश्यकता ही नहीं है। हमारे सामने समस्यायें इसलिये पैदा होती है कि हम प्राथमिकताओं
का गलत निर्धारण कर लेते हैं। हमें समझना होगा और समझाना होगा कि परीक्षा नहीं सीखना
महत्वपूर्ण है। परीक्षा तो एक मापन का यन्त्र है, जैसे- हम दूध पीना चाहते हैं किन्तु
हम लीटर को पकड़ लेते हैं, जबकि लीटर नहीं दूध की पौष्टिकता महत्वपूर्ण है। लीटर पर
जोर देने के कारण ही मिलावट सामने आती है। ठीक इसी प्रकार परीक्षा पर जोर देने के कारण
ही परीक्षायें तनाव का कारण बनती हैं। यही नहीं परीक्षाओं पर अधिक जोर देने के कारण
ही अनुचित साधनों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। वास्तविकता तो यह है कि परीक्षा नहीं सीखना
महत्वपूर्ण है। जब हम सीखने पर जोर देंगे, तो सब कुछ आसान हो जायेगा। सीखना आनन्ददायक
हो जायेगा। हमें मालुम ही नहीं पड़ेगा कि कब परीक्षा हुई क्योंकि जब आप सीखने पर ध्यान
केन्द्रित करेंगे तो परीक्षा तो एक खेल मात्र रह जायेगी। अतः परीक्षा पर चर्चा छोड़कर
सीखने पर चर्चा कीजिये। देश के लिये सीखना, समाज के लिये सीखना, परिवार के लिये सीखना,
जीवन के लिये सीखना सबसे आगे बढ़कर आनन्द के लिये सीखना, जब सीखना ही महत्वपूर्ण होगा
तो परीक्षा तनाव नहीं आनन्द देने लगेगी जिसके लिये किसी तैयारी की आवश्यकता ही नहीं
होगी ।
अपने लिए जिएं-१
-
* समाज सेवा और परोपकार के नाम पर घपलों की भरमार करने वाले महापुरूष परोपकारी
होने और दूसरों के लिए जीने का दंभ भरते हैं। अपनी आत्मा की मोक्ष के लिए पूरी
द...
1 year ago
No comments:
Post a Comment
आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.