मित्रों नव वर्ष पर शुभकामनाओं का दौर रहता है किन्तु मुझे इस प्रकार शुभकामनायें देने की आदत नहीं है। नव वर्ष में लिखी हुई प्रथम कविता आप सभी को समर्पित है-
उन सब मित्रों को धन्यवाद
डाॅ संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
घायल हैं हम, चोट सहीं, अनगिनत हम पर हुए वार;
ठोकर से है, गति बढी, साथी हमको, मिले चार;
काम है चलना, चलते हैं हम, दुनिया भले ही करे वार;
जिन-जिनने हैं वार किए, उन सब मित्रों को धन्यवाद।
बीता वर्ष, लघु जीवन बीता, साथ न कोई, मिले यार;
जिस पर, है विश्वास किया, विश्वासघात के सहे वार;
अपने अपने लक्ष्य सभी के, धन-दौलत से जिन्हें प्यार;
झूठे घृणित आरोप लगाये, उन सब मित्रों को धन्यवाद।
जिजीविषा है शेष अभी भी, बार बार हैं हुए प्रहार;
प्रेम कोष आपूरित अब भी, लुटायेंगे हम सबको यार;
देना ही है, कर्म हमारा, चाह नहीं है, मिले प्यार;
जिन-जिनने भी, ठगा है हमको, उन सब मित्रों को धन्यवाद।
धोखा देकर, बनाते रिश्ते, कानून की फिर देते मार;
अजीब प्यार है, देखो इनका, आत्मा पर, करते प्रहार;
नहीं किसी के, बंधन में हम, सबसे करते, बातें चार;
जिन-जिनसे भी मिला हूँ पथ में, उन सब मित्रों को धन्यवाद।
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