माँ भारती हम सब की माता
यही है माता यही विधाता
हम सब इसकी संतान हैं
छाती ठोक गर्व से बोलें
मेरा भारत महान है
यही भाव रहे सीने अपने
हो एक पल भी न कम
लगा भाल पे इसकी माटी
कहें बन्दे मातरम
बन्दे मातरम ,बन्दे मातरम
फिर कहलाये सोने की चिड़िया
हो कायम यहाँ चैन औ अमन
कर्ज उतारें मिटटी का इसकी
सौ सौ बार इसे करें नमन
लगा भाल पे इसकी माटी
कहें बन्दे मातरम
बन्दे मातरम ,बन्दे मातरम
सुख समृद्धि का लगायें नारा
तन मन भी चाहे जाए वारा
करें वन्दना चरणों में माँ की
चलो खायें माँ की कसम
लगा भाल पर इसकी माटी
कहें बन्दे मातरम्
बन्दे मातरम् ,बन्दे मातरम्
आंचल समेटे माँ अपने बच्चे
हैं चार धरम चारों ही अच्छे
देश की खातिर मर मिट जाएँ
अब अपना यही जतन
लगा भाल पर इसकी मिटटी
कहें बन्दे मातरम्
बन्दे मातरम् ,बन्दे मातरम्
दुश्मन जिन्दा नहीं जाने देंगे
आंच न इसपर आने देंगे
इसकी जय जयकार से गूंजें
ये धरती और वो गगन
लगा भाल पर इसकी माटी
कहें बन्दे मातरम
बन्दे मातरम ,बन्दे मातरम्
न घर है न ही 
परिवार हमारा
पंद्रह अगस्त त्यौहार है प्यारा
है संकल्प यही अब अपना
यही अपना एक धरम
लगा भाल पर इसकी माटी
कहें बन्दे मातरम्
बन्दे मातरम् ,बन्दे मातरम्
खड़े सीमा पर जितने भी जवान
कोई हिन्दू है न है मुसलमान
आँख उठा देखे कोई माँ को
लहू हो जाता इनका गरम
लगा भाल पर इसकी माटी
कहें बन्दे मातरम्
बन्दे मातरम् ,बन्दे मातरम
साहित्यकार  सपना
मांगलिक
f-659
agra (up)282005
 email-sapna8manglik@gmail.com
 
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