Friday, January 11, 2013

प्यार की जीत से जिन्हें होती है सख्त नफरत


जहाँ एतबार नहीं, वहाँ प्यार नहीं होता ,

भरी महफिल में भी कोई यार नहीं होता,

चाहे लाख कर ले कोई अपनी कोशिश ,

मगर दिलवर का यूं दीदार नहीं होता।



इसी के दम पै पूरी दुनिया बसी होती है ,

एतबार न हो तो हर वक्त हँसी होती है,

खुद बड़ा होने का जो भूल करते हैं हरदम ,

उन्हें अपनों से ही कभी प्यार नहीं होता ।



जमाने की सोच से जो ताल्लुक नहीं रखते,

उन्हीं का ही अक्सर अलग संसार होता है ,

आभार के दर पै जो भार बन खड़े होते हैं ,

उनके दिल में मुहब्बत का आसार नहीं होता।



बनके ढोंगी जो सदा दरबार लगाए रहते हैं ,

जमावड़ा लोगों का, वहाँ  हर बार हीं होता,

प्यार की जीत से जिन्हें होती है सख्त नफरत,

 उस जिन्दगी में ‘आनन्द’का इजहार नहीं होता।

                          ग़ज़लकार-

                      आर.पी. आनन्द (एम.जे.)

                       जवाहर नवोदय विद्यालय पचपहाड़,

                       झालावाड़, राजस्थान।


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