नव वर्ष में, नव मानव का, आओ हम संधान करें।
नर-नारी बन करके पूरक, नव भारत का निर्माण करें।
जो बीत गया, वह रीत रहा,
गलती बहुत करी हैं अब तक।
अशिक्षा, आतंकवाद, भ्रूण हत्या,
गैंग रेप सहोगे कब तक?
शासन, प्रशासन, न्यायपालिका,
दोषारोपण करोगे कब तक?
65 वर्ष स्व, तंत्र बना ना,
अंग्रेजी से शासित कब तक?
व्यक्ति, परिवार, समाज शुद्ध हो,
बातें बहुत करी हैं अब तक?
सुख, शान्ति, समृद्धि ना पाओ,
मिलकर साथ चलो ना तब तक।
नव वर्ष में नव मानव का, आओ हम अवधान करें।
नर-नारी बन करके पूरक, नव भारत का निर्माण करें।
अपना-अपना अह्म त्याग कर,
समन्वय से रहना सीखेंगे।
नहीं समानता, नहीं स्पर्धा,
सबके हित जीना सीखेंगे।
अधिकारों का संघर्ष नहीं,
कर्तव्य निभाना सीखेगें।
सबको दें विकास के अवसर,
साथ में चलना सीखेगें।
ना कोई शोषण, ना कोई बंधन,
हम मुक्त विचरना सीखेंगे।
कानूनों का निर्माण न केवल,
सम्मान भी करना सीखेंगे।
नव वर्ष में नव मानव का आओ हम आह्वान करें।
नर-नारी बन करके पूरक, नव भारत का निर्माण करें।
नव वर्ष में, हर मानव को,
मानवता सिखलायेंगे।
नव वर्ष में, निज हित खातिर,
नहीं किसी को बहलायेंगे।
सुरक्षा, संरक्षा और समर्थन,
हर नारी को दे पायेंगे।
कानूनों का दुरूपयोग करके,
पतियों को नहीं फँसायेंगे।
अशिक्षा और भ्रूण हत्या को,
जड़ से इस वर्ष मिटायेंगे।
अपनी ढपली अलग न करके,
समूह गान हम गायेंगे।
नव वर्ष में, नव मानव का, आओ हम कल्याण करें।
नर-नारी बन करके पूरक, नव भारत का निर्माण करें।
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