बच्चो फिर से आई दिवाली
सबने अपनी ज्योति जला ली
पण्डित हरिजन हो या माली
सभी मनाते हैं दीवाली।
आओ हम सब दीप जलाएं
अन्धकार को दूर भगाएं
ईर्ष्या-द्वेष और भेद मिटाएं
आओ सब मिल दीप जलाएं।
हँसते रहे औरों को हँसा के
खुशियों के सूचक हैं धमाके
मिठाई खा और चकरी चला के,
नन्हे -नन्हे दीप जला के।
हम सब दीपावली मनाएं
स्वयं पढ़े औरों को पढ़ाएं
राष्ट्र को उन्नत शिखर चढ़ाएं
कर्मशील सब ही बन जाएं।
ठण्डा मौसम आया सुहाना
रजाई में बैठ पढ़े रोजाना
मच्छर जी अब नहीं सताएं
दीपावली के दीप जलाएं।
ज्यों-ज्यों आवें परींक्षा पास
महनत करते रहे न उदास
श्रेणी अच्छी जब हम लाएं
पापा जी भी दीप जलाएं।
बहुत प्यारी बाल कविता!
ReplyDeleteशुभकामनायें !