असमय ही मर जाते हैं
20/05/2024
टारगेट, जब तनाव देत हैं, कर्म न हम कर पाते हैं।
योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते हैं।।
जीवन का है अर्थ समझना।
नहीं किसी को व्यर्थ समझना।
संदर्भ और प्रयोग समझकर,
जिज्ञासु! वाक्य का अर्थ समझना।
जीवन का ही, लक्ष्य न समझे, लक्ष्य गान, हम गाते हैं।
योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते हैं।।
कर्म तुम्हारे हाथ, सही है।
यही सीख, गीता ने कही है।
यात्रा का, आनंद उठाओ,
आगे भी तो, वही मही है।
कर्म बीज है, धैर्य सिंचाई, समय पर ही, फल आते हैं।
योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते हैं।।
राष्ट्रप्रेमी की, नहीं, कुछ इच्छा।
कदम-कदम है, मौज परीक्षा।
कर्म की खातिर, कर्म करो बस,
अनुभव देता, सच्ची दीक्षा।
फल नहीं, बस कर्म लक्ष्य हैं, हम सबको समझाते हैं।
योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते हैं।।
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