सम्बंधों की आड़ ये लूटें
डाॅ संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
कितना मधुर प्रेम है इनका, प्रेम में जान ये लेती हैं।
सम्बन्धों की आड़ ये लूटें, कह कह प्रेम ये देती हैं।।
धन पद से हैं रिश्ते बनातीं।
प्रेम नाम ले ये भरमातीं।
प्रेमी से मिलकर के फिर ये,
पति को पथ से, ये हैं हटातीं।
रिश्तों का अपहरण करके, कानून का सहारा लेतीं हैं।
सम्बन्धों की आड़ ये लूटें, कह कह प्रेम ये देती हैं।।
झूठ, छल और कपट वहाँ है।
प्रेम नाम की चीज कहाँ है?
कानून को हथियार बनाकर,
झूठे केस से लूटें जहाँ है।
दहेज हिंसा के केस बना ये, ब्लेकमेल कर, लेती हैं।
सम्बन्धों की आड़ ये लूटें, कह कह प्रेम ये देती हैं।।
प्रेम और ममता की मूरत।
बनावटी है इनकी सूरत।
सूरत सीरत नहीं है कुछ भी,
खुद को कहतीं, खुद खुबसूरत।
संपत्ति और प्रेमी की खातिर, पति के प्राण हर लेती हैं।
सम्बन्धों की आड़ ये लूटें, कह कह प्रेम ये देती हैं।।
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जवाहर नवोदय विद्यालय, महेंद्रगंज(मेघालय)-794106

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